जर्जर भवनों में नौनिहाल और साहब को पता ही नहीं
महीनों पहले शासन ने जर्जर स्कूलों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग से म
एटा, जागरण संवाददाता : महीनों पहले शासन ने जर्जर स्कूलों का ब्योरा बेसिक शिक्षा विभाग से मांगा। निर्देशों को महीनों गुजर गए और शासन का फरमान ऐसे जर्जर भवनों को ध्वस्त कराने के लिए भी आ गया। मामले पर मंडलायुक्त ने ब्योरा मांगा तो अब जिम्मेदार अधिकारी ब्योरा देने के बजाय फिर वही सूचनाएं मांगने का राग अलाप रहे हैं। जिलाधिकारी ने भी इस तरह की लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए ब्योरा मांगा है और स्पष्ट किया है कि सूचना के बाद यदि कहीं भी बच्चे जर्जर स्कूलों या भवनों में मिले तो कठोर कार्रवाई होगी। अब विभाग में खलबली मची है।
सरकारी स्कूलों में जर्जर भवनों को लेकर कई बार घटना-दुर्घटनाओं से शासन की भी किरकिरी होती रही है। कहीं बाउंडीवाल गिरने और जर्जर भवनों के गिरने का सिलसिला बना रहता है। कुछ ऐसी ही स्थितियों के मद्देनजर इस बार शिक्षासत्र की शुरूआत में ऐसे भवनों और इमारतों की सूचनाएं शासन ने मांगीं थीं। सिर्फ डेढ़ दर्जन स्कूलों की रिपोर्ट विभाग तक आईं। यह रिपोर्ट भी शासन तक नहीं पहुंचीं। अब जब शासन ने ऐसे भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई को लेकर जवाब मांगा तो पूरा महकमा फिर से जर्जर स्कूलों को चिन्हित करने में जुटा है।
यहां बता दें कि मंडलायुक्त अलीगढ़ ने इस मामले पर नाराजगी जताई, तब जिला प्रशासन ने भी शिकंजा कसा है। हर ब्लॉक से जर्जर स्कूलों और भवनों का ब्योरा लिया जा रहा है। खास बात तो यह है कि जो विद्यालय 10 या 15 साल के मध्य बने, वहां भी दरकी दीवारें और बेकार हुए लेंटरों की स्थिति में खुद को फंसता देख तमाम निर्माण प्रभारी रिपोर्ट नहीं दे रहे। फिलहाल ऐसे स्कूलों को चिन्हित कराया जा रहा है। उधर बीएसए संजय सिंह ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों को मामले में सक्रियता बरतते हुए निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप भवनों का ध्वस्तीकरण कराने की कार्रवाई तेज करने को कहा है।