नमो देव्यै-महा देव्यै : जल संरक्षण की मुहिम चला रहीं रेखा
आठ साल से कर रहीं जल संरक्षण के प्रयास खारा पानी तथा ऊसर प्रभावित क्षेत्रों में असरदार पहल
जासं, एटा: गांव के माहौल में रहते हुए जल संरक्षण को लेकर लोगों द्वारा बरती जाने वाली उदासीनता से मन में उलझन शुरू से रही। बारिश के पानी को सहेजने तथा भूगर्भ जल के अति दोहन रोकने के लिए जागरूकता का मन बनाया। खेतों का पानी खेत में का नारा देते हुए खासकर खारा पानी तथा ऊसर प्रभावित क्षेत्र में जागरूकता अभियान चलाया। इसके सकारात्मक परिणाम धीरे-धीरे सामने आए हैं। कुछ इसी तरह का काम सकीट क्षेत्र की 38 वर्षीय रेखा कर रही हैं।
स्नातक शिक्षित रेखा ने 2010 में मशाल शक्ति महिला विकास संस्थान बनाया। एनजीओ का उद्देश्य महिला सशक्तीकरण के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण में महिलाओं की भागीदारी को तय किया। संस्थान के कार्यक्रमों के लिए रेखा का ग्रामीण क्षेत्रों में जाना शुरू हुआ तथा ज्यादातर स्थानों पर बारिश के पानी को सहेजने के प्रति लोगों की अरुचि को देखा। उस समय सकीट क्षेत्र डार्क जोन में शामिल था और यहां के दो दर्जन से ज्यादा ग्रामों में खारे पानी की समस्या के चलते फसलें उगाना भी मुश्किल था। इन हालातों में रेखा ने जल संरक्षण के लिए तमाम उपाय किताबों का अध्ययन कर जुटाए तथा भूमि संरक्षण विभाग के विशेषज्ञों की भी मदद ली। वर्ष 2012 में एनजीओ ने खेत का पानी खेत में जागरूकता अभियान शुरू किया। लोगों को बताया कि बिना किसी खर्चे के अपने खेतों में बारिश के पानी को इकट्ठा करें।
यही नहीं पुराने बेकार हुए बोरिग से खेत के बारिश जल स्त्रोतों को जोड़कर देखें तो निश्चित ही जलस्तर सुधार के साथ खेती के लिए भी अच्छा पानी मिलेगा। किसानों को खेतों में ही छोटे डैम बनाने के लिए प्रेरित किया। गांव-गांव जागरूकता कार्यक्रमों में महिलाओं को भी जल संरक्षण में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया। धीरे-धीरे लोगों को बात समझ आई। बारिश के दिनों किसानों ने खेतों की मेड़बंदी कर बारिश का पानी खेतों में संजोकर जहां ऊसर सुधार के प्रयास किए। वहीं खेती के लिए बारिश का पानी प्रयोग में लिया। उन्होंने विकास खंड सकीट के 50 से ज्यादा गांव में बदलाव देखा। इसके बाद मारहरा विकास खंड में रेखा ने जागरूकता अभियान चलाकर जल संरक्षण के कार्यक्रमों के तहत दो दर्जन से ज्यादा सामूहिक सहभागिता से तालाब निर्माण कराए। रेखा का कहना है कि अभी भी जल संरक्षण के लिए प्रयास और लोगों की सोच बदलने की काफी जरूरत है।