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पालिका की संपत्तियों की फाइलें लापता

जागरण संवाददाता, एटा: नगर पालिका की दुकानों आदि संपत्तियों की फाइलें लापता हो गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 10:59 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 10:59 PM (IST)
पालिका की संपत्तियों की फाइलें लापता
पालिका की संपत्तियों की फाइलें लापता

जागरण संवाददाता, एटा: नगर पालिका की दुकानों आदि संपत्तियों की फाइलें लापता हो गई हैं। हाल ही में यहां भ्रष्टाचार के आरोप में संपत्ति लिपिक को निलंबित किया गया था। उनके स्थान पर दूसरे लिपिक को यह चार्ज दे दिया गया है। लेकिन पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी उन्हें फाइलें नहीं मिली हैं। निलंबित लिपिक ने अपने पास फाइलें न होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लिया है। उधर फाइलें न मिलने से किराया वसूली का काम पूरी तरह ठप हो गया है।

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विभिन्न बाजारों और ट्रांसपोर्ट नगर की दुकानों सहित अनुपम कॉमर्शियल कांप्लैक्स में पालिका की करोड़ों रुपये की संपत्ति है। करीब तीन साल से इन संपत्तियों के लेखा-जोखा और किराया वसूली का काम संपत्ति लिपिक के रूप में यशवीर ¨सह देख रहे थे। 11 अप्रैल को हुई बोर्ड मी¨टग में सभासदों ने यशवीर ¨सह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। पालिका की करोड़ों रुपये की संपत्ति को मामूली कीमत में बेचने की बात कहकर बोर्ड ने उसे निलंबित कर दिया। इसके बाद यह चार्ज सोवरन ¨सह यादव को 14 अप्रैल को सौंप दिया गया। कागजों में चार्ज होने के बाद उन्होंने संपत्ति से संबंधित फाइलें जब निलंबित लिपिक यशवीर ¨सह से मांगी तो उन्होंने अपने पास फाइल न होने की बात कह दी। बताया कि उनसे पूर्व रहे संपत्ति लिपिक निरंकार ¨सह ने ही फाइलें नहीं दी हैं। सोवरन ¨सह ने निरंकार ¨सह से भी संपर्क किया, लेकिन उन्होंने भी अपने पास फाइलें न होने की बात कह दी। इस पूरी उठापटक में महीना बीतने का आया है और किराया वसूली का काम बंद पड़ा है।

अफसरों के आदेश भी बेअसर

नगर पालिका की राजनीति में अफसरों के आदेश भी बेअसर हैं। जब संपत्ति लिपिक का पूरी तरह चार्ज न हो पाने की बात नगर निकायों के नोडल अधिकारी एडीएम प्रशासन धर्मेंद्र ¨सह के पास पहुंची तो उन्होंने निलंबित लिपिक यशवीर से जवाब तलब किया। लेकिन यशवीर ने बताया कि उनके पास भी पूरी फाइलें नहीं हैं। यहां पूर्व में संपत्ति लिपिक रहे निरंकार ¨सह ने उन्हें पूरी फाइलें नहीं सौंपी। इस पर एडीएम ने दोनों लिपिकों से फाइलें प्राप्त कर सोवरन ¨सह को सौंपने का आदेश दिया। लेकिन इस आदेश के बावजूद कर्मचारी फाइलें दबाए बैठे हैं।

गोलमाल और कमाई छुपाने में जुटे लोग

दरअसल, पालिका की संपत्तियों से राजस्व कम और निजी फायदा अधिक होता है। तमाम दुकानें हैं जिनका किराया 5-10 रुपये के रूप में केवल नाम मात्र का है। जबकि हकीकत में वसूला कुछ और ही जा रहा है। वहीं, सांठ-गांठ कर दुकानें एक से दूसरे व्यक्ति को बिक जाती हैं। सब कुछ जानते हुए पालिका कर्मचारी इस बात को दबा लेते हैं। वर्षों से ऐसा चल रहा है, जिसमें कर्मचारियों के साथ ही अन्य लोग भी शामिल हैं। यदि ये फाइलें सामने आ जाएं तो पूरा खेल उजागर हो जाए और कमाई का जरिया भी बंद हो जाए। यही वजह है कि फाइलों को छुपाए रखने के लिए पूरी ताकत लगाई जा रही है।

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संपत्ति लिपिक का चार्ज तो हो गया है, लेकिन फाइलें नहीं मिल सकी हैं। पूर्व में संपत्ति लिपिक रह चुके दो कर्मचारियों से फाइलें मांगी गई है। फाइलों के अभाव में वसूली कार्य रुका चल रहा है।

- रामदत्त राम, एएसडीएम व प्रभारी ईओ


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