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मंडी आढ़तियों को इस बार चुनाव देगा अधिक दर्द

मंडी समिति के आढ़त व्यापारियों को इस बार का चुनाव अधिक दर्द देगा। तीन चरणों में हो रहे मतदान के कारण पखवाड़े भर में छह दिन व्यापार ठप रहेगा।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 10:43 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 06:11 AM (IST)
मंडी आढ़तियों को इस बार चुनाव देगा अधिक दर्द
मंडी आढ़तियों को इस बार चुनाव देगा अधिक दर्द

एटा: मंडी समिति के आढ़त व्यापारियों को इस बार का चुनाव अधिक दर्द देगा। तीन चरणों में हो रहे मतदान के कारण पखवाड़े भर में छह दिन व्यापार ठप रहेगा।

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चुनाव का केंद्र बिदु मंडी समिति को ही बनाया जाता है। पोलिग पार्टियों की रवानगी, स्ट्रांग रूम, मतगणना आदि सभी प्रक्रिया यहीं की जाती हैं। जिसमें दुकानें बंद रहने से यहां के आढ़त व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है। चुनाव का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए यूं तो व्यापारी भी हर बार होने वाली इस कवायद पर हामी भर ही देते हैं। लेकिन इस बार तय की गई चरणवार चुनाव प्रक्रिया उनकी चिता की वजह बन गई है। तीन बार पोलिग पार्टियों की रवानगी और तीन बार ईवीएम जमा होने से दो-दो दिन दुकानें बंद रखनी पड़ेंगी। पहले चरण के मतदान में 17, 18 अप्रैल, दूसरे चरण में 22 व 23 अप्रैल तथा तीसरे चरण में 28 और 29 अप्रैल को मंडी की सभी आढ़तें बंद रखने का आदेश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा 23 मई को मतगणना वाले दिन भी आढ़तें बंद रहेंगी। आढ़तें बंद रहने से व्यापारियों के अलावा किसानों को भी समस्या का सामना करना पड़ेगा। हर रोज पांच करोड़ का व्यापार

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गल्ला मंडी, लहसुन मंडी और फल-सब्जी मंडी तीनों को मिलाकर यहां 600 से अधिक आढ़तें हैं। जिन पर प्रतिदिन करीब पांच करोड़ रुपये का कारोबार होता है। छह दिन मंडी बंद रहने से महज एक पखवाड़े में 30 करोड़ का व्यापार प्रभावित होगा। 80 दुकानें डेढ़ महीने के लिए अधिग्रहीत

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पूरी मंडी के आढ़तियों को जो नुकसान हो रहा है, उससे ज्यादा 80 उन व्यापारियों को है जिनकी दुकानें डेढ़ महीने के लिए अधिग्रहीत कर ली गई हैं। ईवीएम तथा अन्य सामान रखे जाने, कंट्रोल रूम व अन्य गतिविधियों के लिए प्रशासन ने 80 दुकानें 6 अप्रैल से अधिग्रहीत की हैं। जो मतगणना के हफ्ते भर बाद ही रिलीज हो पाएंगी। खाद्यान्न व्यापार मंडल के अध्यक्ष हरीश गुप्ता बताते हैं कि व्यापारियों को कोई मुआवजा तो दूर, दुकान का किराया तक माफ नहीं जाता है। प्रशासन को कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए जिससे व्यापारियों को नुकसान न उठाना पड़े।


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