शिव और पार्वती के प्रेम का प्रतीक सावन
संवत्सर के बारह मासों में से सावन मास ही भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय म
एटा, जागरण संवाददाता: संवत्सर के बारह मासों में से सावन मास ही भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास माना जाता है। यह वह मास है, जहां देवादिदेव महादेव और पार्वती के रूप में जन्मी सती माता के बीच प्रेमांकुर फूटे। इस मास में चहुंओर हरियाली का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। मन में उमंग और तरंग का संचार होने लगता है।
प्राचीन कथाओं के अनुसार भोले बाबा के बार बार कहने पर भी सती माता नहीं मानी। अपने पिता राजा दक्ष के यज्ञ में जब पहुंची तो वहां पर उन्होंने अपने पति का अनादर पाया। जिससे कुपित होकर सती माता ने योग अग्नि से अपने शरीर को भस्म कर डाला। जिससे राजा दक्ष प्रजापति और सभी देवता स्तब्ध रह गए। सती माता ने प्राण छोड़ते वक्त भगवान से प्रार्थना की कि दूसरे जन्म में भी मुझे भगवान भोलेनाथ ही पति के रूप में प्राप्त हों। जब दूसरे जन्म में माता पार्वती के रूप में सती माता ने अवतार लिया। इसी पवित्र सावन के महीने में उन्होंने भगवान भोलेनाथ की तपस्या की और उनको पति रूप में प्राप्त किया। तब से भगवान भोलेनाथ को भी मास अत्यंत प्यारा लगने लगा। शास्त्रों के मुताबिक जो भी कुंवारी कन्याएं इस महीने में भगवान भोलेनाथ का पूजन करती हैं, वह सभी इच्छा अनुसार वर प्राप्त करती हैं। जो भी धन की इच्छा से भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उनको धन की प्राप्ति होती है । इसीलिए यह श्रावण का महीना परम पवित्र है।
- आचार्य कैलाश बाबू मिश्र, प्राचार्य सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय, एटा