दिव्यांगों की सहूलियत पर मनमानी का ताला
एटा, जासं। पैरों से दिव्यांग शहर के अंबेडकर नगर निवासी सतीश अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच उन्हें टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हुई। किसी ने बताया कि दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा वाला टॉयलेट पीछे की ओर बना हुआ है। सुनकर तसल्ली हुई। व्हील चेयर के सहारे जैसे-तैसे पहुंचे भी, लेकिन वहां की तस्वीर देख मायूस हो गए। टॉयलेट बना तो था, लेकिन गेट पर ताला लटका हुआ था।
एटा, जासं। पैरों से दिव्यांग शहर के अंबेडकर नगर निवासी सतीश अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराने के लिए इंतजार कर रहे हैं। इसी बीच उन्हें टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस हुई। किसी ने बताया कि दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधा वाला टॉयलेट पीछे की ओर बना हुआ है। सुनकर तसल्ली हुई। व्हील चेयर के सहारे जैसे-तैसे पहुंचे भी, लेकिन वहां की तस्वीर देख मायूस हो गए। टॉयलेट बना तो था, लेकिन गेट पर ताला लटका हुआ था।
इस तरह के दो-चार नहीं, दर्जन भर से अधिक केस जिला अस्पताल और जिला महिला अस्पताल में हर रोज देखने को मिलते हैं। दोनों ही अस्पतालों में दिव्यांगजनों के लिए विशेष शौचालयों का निर्माण कराया गया है। जिला महिला अस्पताल में महिलाओं के लिए तो जिला अस्पताल में महिला-पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग शौचालय बने हैं। लेकिन शासन के निर्देश पर अफसरों ने इनको केवल बनवाने में ही रुचि ली। इसके बाद से शौचालयों में ताले पड़े हुए हैं। भले ही दिव्यांग भटकते रहें, कोई सुनने वाला नहीं है। करीब दो साल पहले इनका निर्माण कराया गया। उस समय लगा कि दिव्यांग मरीजों के लिए यह पहल बहुत ही अच्छी रहेगी। लेकिन कर्मचारियों को अपने ऊपर एक काम बढ़ता नजर आया तो उन्होंने इन शौचालयों पर ताले जड़ दिए। सार्वजनिक शौचालय की भी असुविधा
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भर्ती मरीजों के लिए भले ही वार्डों में शौचालय की सुविधा है। लेकिन बाह्य रोगी विभाग में आने वाले मरीजों के लिए इस तरह की कोई भी सुविधा अस्पताल में नहीं है। जिसके चलते उन्हें परेशानी और शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। वर्जन
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मरीजों के लिए की गई सेवाएं हर हाल में उन तक पहुंचनी चाहिए। दिव्यांगों के शौचालय को लेकर कोई शिकायत है तो संबंधित सीएमएस से बात कर सेवा सुचारू कराई जाएगी।
- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ