बॉलीवुड में नायिका प्रधान फिल्मों की कमी : मालिनी
एटा, जासं। प्रख्यात लोक गायिका पदमश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि बॉलीवुड में आज नायिका प्रधान फिल्मों की कमी है। इस वजह से ठुमरी और कचरी जैसी विद्या को नई पीढ़ी कम पहचान रही है। यह तरक्की का दौर है इसलिए लोग अपनी सांस्कृतिक विधा से दूर होकर तड़क-भड़क को पसंद कर रहे हैं, लेकिन कजरी, ठुमरी, गजल जैसी विधा के बिना संगीत अधूरा है। उन्होंने कहा कि आज कव्वाली का विकृत स्वरूप देखने को मिल रहा है।
एटा, जासं। प्रख्यात लोक गायिका पदमश्री मालिनी अवस्थी ने कहा कि बॉलीवुड में आज नायिका प्रधान फिल्मों की कमी है। इस वजह से ठुमरी और कचरी जैसी विद्या को नई पीढ़ी कम पहचान रही है। यह तरक्की का दौर है इसलिए लोग अपनी सांस्कृतिक विधा से दूर होकर तड़क-भड़क को पसंद कर रहे हैं, लेकिन कजरी, ठुमरी, गजल जैसी विधा के बिना संगीत अधूरा है। उन्होंने कहा कि आज कव्वाली का विकृत स्वरूप देखने को मिल रहा है।
यहां प्रदर्शनी में आयोजित शो में भाग लेने आईं लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने होटल माया पैलेस में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कव्वाली का जन्म ब्रज और अवधी बोली में ही हुआ। हजरत अमीर खुसरो ने इसे ंईजाद किया और अपना इल्म दुनिया में फैलाया। गीत-संगीत के लिहाज से एटा की जमीन बहुत पवित्र है, लेकिन दुख इस बात का है कि कव्वाली के असली मर्म को तोड़कर इसे दूसरे रूप में परोसा जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब से इंटरनेट का जमाना आया तब से गीत-संगीत की विधा में तमाम बदलाव देखने को मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज नायिका प्रधान फिल्मों की कमी है। पाकीजा, उमराव जान और हाल ही में आई डेढ़ इश्किया जैसी फिल्मों का अब अभाव दिखाई दे रहा है। हालांकि बॉलीवुड में जो इस विधा को पहचानते हैं वे इस पर काम कर रहे हैं, जैसे कि लगाम में आमिर खान ने लोकगीत को तवज्जो दी। ऐसी फिल्में और बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि हजरत अमीर खुसरो ने छाप तिलक सब छीनी, मोसे नैना मिलाए के, ऐसा गीत दिया जिसके बिना संगीत की हर महफिल अधूरी है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भगवान राम हमारे आराध्य हैं और वे ही तय करेंगे कि राम मंदिर कब बनेगा।