अव्यवस्थाओं के फेर में ठिठके शोधार्थी
एटा, जासं। जलेसर पटना पक्षी विहार में पक्षियों का कलरब तो खूब है। यहां सर्दी के मौसम में देश-विदेश के हजारों पक्षी झील की शोभा बढ़ाते हैं। उनका कलरब पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते यह स्थल शोधार्थियों के लिए महफूज नजर नहीं आ रहा।
एटा, जासं। जलेसर पटना पक्षी विहार में पक्षियों का कलरब तो खूब है। यहां सर्दी के मौसम में देश-विदेश के हजारों पक्षी झील की शोभा बढ़ाते हैं। उनका कलरब पर्यटकों को आकर्षित करता है। लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते यह स्थल शोधार्थियों के लिए महफूज नजर नहीं आ रहा।
पिछले सालों जीव विज्ञान से संबंधित विभिन्न शोध कार्यों के लिए जनवरी के महीने में कालेज, विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों की टीमें पहुंचती रहीं हैं, उनके लिए व्यवस्थाएं भी थीं। यहां स्थापित पक्षी विज्ञान केंद्र पर पक्षी साहित्य तो अब भी मौजूद है, लेकिन शोधार्थियों को राह दिखाने वाले पक्षी विज्ञान अधिकारी और किसी भी विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। दो साल से भी ज्यादा समय हो चुका है और पक्षी विज्ञान केंद्र पर ताला ही लटका रहता है। कुछ स्थानीय विद्यार्थी पहुंचते भी हैं तो यहां मौजूद पशु रक्षक और एक अन्य कर्मचारी ही अपनी जानकारी के मुताबिक ही उन्हें बता पाते हैं। कुछ ऐसे हालातों में ही पक्षी विज्ञान केंद्र शोधार्थियों का मोह भंग कर रहा है।
इस साल भी सिर्फ जलेसर निवासी एक शोध छात्रा अर्चना बहुगुणा ही यहां पहुंची। इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय सहित अन्य कालेजों की कोई भी शोधार्थी टीम न आने का कारण यहां की अव्यवस्थाएं ही मानी जा सकती हैं। बताया जाता है कि अब शोधार्थी कीठम झील व अन्य स्थलों पर चले जाते हैं। हालांकि कुछ दिन पहले ही यहां रेंजर की नई तैनाती हुई है, लेकिन अभी व्यवस्थाएं बदहाल ही हैं। नवागत रेंजर नरेश रावत बताते हैं कि पहले भी स्टाफ की पूर्ति के लिए शासन को लिखा जाता रहा है और फिर से प्रयास किया जाएगा कि जीव विज्ञान विशेषज्ञ की तैनाती हो।