अफसर चिड़ियाघर में, कैसे निखरे पक्षी विहार
एटा : पक्षियों की मीठी चहक भी दूरदराज से आने वाले पर्यटकों को पटना पक्षी बिहार की ओर आक
एटा : पक्षियों की मीठी चहक भी दूरदराज से आने वाले पर्यटकों को पटना पक्षी बिहार की ओर आकर्षित नहीं कर पा रही। इसका मूल कारण विभाग का पक्षी विहार के प्रति उदासीनता बरतना है। जलेसर के निकट स्थित पटना पक्षी विहार की देखरेख का जिम्मा वन विभाग के रेंजर के हवाले है, लेकिन उनकी तैनाती यहां होते हुए भी गोरखपुर में बन रहे चिड़ियाघर में लगा रखी है। हालात यह है कि उनका पूरा समय गोरखपुर के चिड़ियाघर का काम देखने में गुजर जाता है। यही वजह है कि पक्षी विहार को निखारने के दावे धरातल पर नजर नहीं आते।
पटना पक्षी विहार को निखारने के लिए प्रशासन ने कई प्रस्ताव शासन को भेज रखे हैं। उसके विकास कराए जाने की बात बार-बार कही जा रही है, लेकिन मौजूदा स्थिति का जिक्र कोई नहीं कर रहा। फिलहाल यहां तीन कर्मचारियों का स्टाफ पक्षी बिहार की देखरेख के लिए है। इनमें एक वन दरोगा, चौकीदार व एक कर्मचारी यहां तैनात है। जबकि यहां कम से कम 10 कर्मचारियों की आवश्यकता है।
पक्षी विहार का जिम्मा संभाल रहे रेंजर को दो साल से गोरखपुर के चिड़ियाघर का चार्ज दिया हुआ है। इसलिए वे यहां आते ही नहीं। विभाग ने यह व्यवस्था भी नहीं की कि किसी दूसरे अधिकारी की तैनाती यहां कर दी जाए। ताकि उचित देखभाल हो सकें और पर्यटकों को भी सुविधाएं मिलें।
फिलहाल पक्षी विहार में सुविधाएं शून्य है। कैंटीन तक नहीं खुलती, पर्यटक आते हैं और व्यवस्थाओं के नाम पर जब कुछ नहीं दिखाई देता तो कोसते हुए निकल जाते हैं। पक्षी विहार की सफाई ठीक से रह सके इसके लिए कर्मचारी तक नहीं हैं। रेंजर दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि उनकी ड्यूटी गोरखपुर में है, लेकिन तैनाती एटा में ही है। चूंकि वहां निर्माण हो रहा है इसलिए काम देखना पड़ रहा है फिर भी समय-समय पर पटना पक्षी विहार की भी देखरेख करते हैं।