लॉकडाउन के नायक: गरीबों तक निवाला पहुंचा रही रोटी बैंक
भोजन के जरूरतमंदों की संख्या हो गई दोगुनी मदद को भी हर ओर से आगे आ रहे लोग
एटा, जासं। शहर में संचालित एटा रोटी बैंक की भूमिका लॉकडाउन में और ज्यादा बढ़ गई है। यूं तो पहले से ही यह संस्था जरूरतमंदों को खाना बांट रही थी, लेकिन तब संख्या सीमित थी। लॉकडाउन के बाद इसमें काफी इजाफा आया है। हालांकि, मदद के लिए भी तमाम लोग आगे आए हैं और गरीबों तक निवाला पहुंच रहा है।
दो साल पहले पांच अप्रैल, 2018 को किदवई नगर निवासी मु. आमिर ने अपने दर्जनभर युवा साथियों से मिलकर एटा रोटी बैंक की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य था कि आपसी सहयोग से वे उन लोगों को भोजन मुहैया कराएंगे, जो किसी भी वजह से भूखे हैं। शुरुआती दौर में संख्या 10-15 थी, जो बढ़कर 70-80 तक पहुंच गई। हर रोज ये युवा इतने लोगों को खाना उपलब्ध करा रहे थे। इस बीच कोरोना का संकट आया और लॉकडाउन लागू होने के बाद गरीब तबके की समस्याएं और बढ़ गईं। जो लोग रूखी-सूखी खाकर गुजर कर रहे थे, वो भी मोहताज हो गए। ऐसे में रोटी बैंक ने अपनी जिम्मेदारी बढ़ाते हुए भूखे और जरूरतमंद लोगों को चिह्नित करना शुरू किया। आम दिनों के मुकाबले अब रोटी बैंक की रसोई में दोगुने लोगों को भोजन पक रहा है। पहले केवल रात का ही खाना बनाया जाता था। अब लोगों की जरूरत देखते हुए रात के साथ दिन में भी भोजन चल रहा है। दोपहर के समय 70-80 तो रात में 150-175 लोग हर दिन भोजन प्राप्त कर रहे हैं। युवाओं के प्रयासों से तमाम लोग खुश होकर सहयोग राशि के रूप में पैसा, राशन या कच्ची सब्जियां उपलब्ध करा रहे हैं। जरूरतमंदों को राशन भी पहुंचा रहे:
रोटी बैंक के सदस्य मु. वारिस ने बताया कि रोटी बैंक का मुख्य उद्देश्य तो भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध कराना ही है। इस समय हालात ऐसे हैं, जिसके चलते उद्देश्य से हटकर भी कुछ काम किए जा रहे हैं। जब कहीं से सूचना मिलती है कि किसी गरीब व्यक्ति का काम-धंधा ठप है और घर में खाने को कुछ नहीं है। ऐसे लोगों को हम राशन सामग्री उनके घरों में पहुंचा रहे हैं।