डॉट प्रोवाइडर्स पर रखी जाएगी नजर
जागरण संवाददाता, एटा: स्वास्थ्य विभाग से तैनात किए गए डॉट प्रोवाइडर्स मददगार के साथ ही हानिक
जागरण संवाददाता, एटा: स्वास्थ्य विभाग से तैनात किए गए डॉट प्रोवाइडर्स मददगार के साथ ही हानिकारक भी हो गए हैं। तमाम ऐसे लोग झोलाछाप बन गए या अवैध रूप से मेडिकल स्टोर चलाने लगे। सबसे बड़ी ¨चता की बात यह है कि विभाग से मिलने वाली टीबी (क्षय रोग) की दवाओं के दुरुपयोग की है। जिसे लेकर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से औषधि प्रशासन इन पर नजर रखेगा। उनके द्वारा ली जाने वाली और बांटी गई दवा का पूरा ब्योरा लिया जाएगा, जिससे यह दवा बिना पंजीकृत मरीजों को न दी जा सके।
क्षय रोगियों के चिह्नाकन और दवा वितरण में सहूलियत के लिए स्वास्थ्य विभाग निजी लोगों में से डॉट प्रोवाइडर्स की नियुक्ति करता है। हर एक हजार की आबादी पर एक डॉट प्रोवाइडर नियुक्त किया जाता है। जिन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण आदि दिए जाते हैं। तमाम डॉट प्रोवाइडर ऐसे हैं जो दवाओं का अधकचरा ज्ञान प्राप्त कर झोलाछाप के रूप में कार्य करने लगे। तमाम लोग अपने वैध-अवैध मेडिकल स्टोर चलाने लगे। ऐसे लोगों से यह खतरा बन गया है कि वे अपने लाभ के लिए स्वास्थ्य विभाग से मिलने वाली दवाओं को दूसरे मरीजों पर मनमाने ढंग से इस्तेमाल न करने लगें। इस स्थिति में लोगों की रोग की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती जाएगी। इसी आशंका के मद्देनजर औषधि विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वे डॉट प्रोवाइडर्स द्वारा इस्तेमाल की जा रही टीबी संबंधी दवाओं की निगरानी करें। शासन के निर्देश मिलने के बाद स्थानीय स्तर पर कवायद शुरू हो गई है। औषधि विभाग ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से डॉट प्रोवाइडर्स तक पहुंचना शुरू कर दिया है। उन्हें शासन के निर्देशों की जानकारी और पालन की हिदायत दी जा रही है।
दो मामले आ चुके हैं सामने
क्षय रोग की दवाओं के दुरुपयोग की आशंकाएं यूं ही नहीं हैं। जिले में दो ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां डॉट प्रोवाइडर्स अन्य मेडिकल कार्यों से जुड़े हुए थे। करीब तीन महीने पहले सकीट कस्बा में एसडीएम ने एक झोलाछाप के यहां छापामार कार्रवाई की थी। यह झोलाछाप डॉट प्रोवाइडर भी था और उसके पास टीबी की तमाम दवाएं मिली थीं। यहां तक की एक्सपायरी डेट की दवाएं भी पाई गईं। अलीगंज कस्बे में औषधि विभाग के छापे के दौरान एक मेडिकल स्टोर संचालक डॉट प्रोवाइडर पाया गया।
अधिकारी की बात
टीबी से संबंधित शेड्यूल एच-1 की दवाओं की बिक्री और प्रयोग को लेकर कड़ी निगरानी शुरू की जा रही है। इसमें सभी मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग से अधिकृत डॉट प्रोवाइडर्स को दायरे में लिया है। निर्देश दिए जा रहे हैं कि हर महीने उन्हें मिली दवाओं और मरीजों को किए गए वितरण का पूरा विवरण देना है।
- आशुतोष चौबे, औषधि निरीक्षक।