त्याग की मूर्ति थे गुरु तेग बहादुर
विद्या मंदिर में शहीद दिवस पर किया गया याद नई पीढ़ी को पाश्चात्य संस्कृति से किया आगाह
जागरण संवाददाता, एटा : सरस्वती विद्या मंदिर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में गुरु तेगबहादुर के शहीद दिवस पर उनका स्मरण किया गया। बताया गया कि मानवीय मूल्यों और आदर्शों के साथ सिद्धांतों की रक्षा को उन्होंने बलिदान दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विद्या भारती के ब्रज प्रदेश के प्रांत संगठन मंत्री हरीशंकर ने किया। उन्होंने कहा सिख पंथ परंपरा के नौवें गुरु तेग बहादुर के जीवन से विद्यार्थियों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने सभी धार्मिक पर्वो, राष्ट्रीय पर्वों एवं महापुरुषों की जयंतियों को अवश्य मनाना चाहिए। इससे हमारी सांस्कृतिक विरासत को सुदृढता प्राप्त होती है। भवनाथ झा ने कहा उनका जन्म 1 अप्रैल 1621 को अमृतसर में हुआ । कुमुदेश कुमार द्विवेदी ने औरंगजेब के काल में गुरु तेग बहादुर से संबंधित प्रेरक प्रसंग सुनाकर वर्तमान पीढ़ी को हिदू एवं धर्म की रक्षा के लिए प्रोत्साहित किया। औरंगजेब द्वारा कश्मीरी पंडितों और हिदुओं को बल पूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार ना करने के कारण 1675 में औरंगजेब ने उनका सार्वजनिक रूप से सिर कटवा दिया। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीरों में गुरुतेग बहादुर का स्थान अद्वितीय है। हमारी युवा पीढ़ी को ऐसे बलिदानी महापुरुषों के चरित्र से प्रेरणा लेनी चाहिए। वर्तमान में हमें युवा प्रतिभाओं को संभालने की जरूरत है। श्यामसुंदर शुक्ल ने कहा के मुगल काल में जबरन धर्मांतरण करके हिदुओं को मुसलमान बनाने के लिए प्रयास किए गए। आज भी लव जिहाद आदि के द्वारा धर्मांतरण के तरीके अपनाए जा रहे हैं।
इस अवसर पर रमन प्रताप सिंह, डा. अरुण राजोरिया, मनोज सिकरवार, विजय नागर, पवन कुमार, संयोगिता भारद्वाज, सत्यशील मिश्रा, विनय वशिष्ठ, डा. राहुल शर्मा, श्याम भारद्वाज, डा. संजीव सिंह, सत्य प्रकाश पाठक, सूबेदार सिंह, सुनीता जैन, कुसुम पांडे, सुनीता उपाध्याय, योगेंद्र सिंह, ममता उपाध्याय, वर्षा गुप्ता, सोनिया माहेश्वरी, सोनम, अनीता वर्मा, पंकज मलिक, आलोक जैन, सोनिया माहेश्वरी, हरी बाबू शर्मा, संदीप मिश्र सहित विद्यार्थी मौजूद रहे।