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मल्टीलेवल फार्मिंग से गौतम ने बनाई पहचान

एटा: आम किसानों के परंपरागत खेती करने के मिथक को एक शिक्षित युवा ने तोड़ते हुए मल्टी ल

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 10:43 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 10:43 PM (IST)
मल्टीलेवल फार्मिंग से गौतम ने बनाई पहचान
मल्टीलेवल फार्मिंग से गौतम ने बनाई पहचान

एटा: आम किसानों के परंपरागत खेती करने के मिथक को एक शिक्षित युवा ने तोड़ते हुए मल्टी लेवल फार्मिंग की राह दिखाई। खुद भी मल्टी लेवल फार्मिंग को अपनाया और दूसरों को भी उससे प्रेरित करते हुए अच्छे लाभ के अवसर दिलाने को प्रोत्साहित किया। कहने को यह युवा चार्टेड एकाउंटेंट है, लेकिन गांव में जन्म लिया था इसी कारण खेतीबाड़ी से नाता बरकरार रहा। 25 वर्षीय युवा ने मल्टीलेवल फार्मिंग शुरू कर दिखाई जो कि अच्छी आमदनी के लिए अब नजीर बन गयी है।

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जैथरा क्षेत्र के गांव वरना निवासी नीरज शास्त्री के पुत्र गौतम पांडेय शुरू से ही पढ़ाई लिखाई में होनहार रहे। इसी वजह से माता पिता ने उन्हें खेतीबाड़ी से दूर रखा। वह पढ़ाई में लगे रहे लेकिन हर बार खेती में घाटे के लिए रोते किसानों को देख सोच लिया कि इसी क्षेत्र में कुछ अलग कर दिखायेंगे। वर्ष 2014 में चार्टेड एकाउंटेंट बनने के बाद उन्होंने खेती पर फोकस किया। सिर्फ किताबों के जरिए गुजरात और महाराष्ट्र प्रदेश में की जाने वाली मल्टीलेवल फार्मिंग के बारे में पढ़ा और वहां जाकर देखा भी। 2016 से ढाई हेक्टेयर जमीन पर अपनी रुचि के अनुरूप मल्टीलेवल फार्मिंग के इंटरक्रॉ¨पग फार्मूले पर चलना शुरू कर दिया। यह फार्मूला कुछ और नहीं बल्कि एक साथ चार कृषि उत्पादन प्राप्त करने का रहा।

अपने फार्मूले के तहत उन्होंने खेत के मध्य मेंड़ बनाकर जहां पपीता के रूप में फल उत्पादन की शुरूआत की है। इसके अलावा बीच की खाली जमीन पर सब्जियां जिनमें मटर, टमाटर के अलावा बेमौसम सब्जियों को प्राथमिकता देते हैं। इसी के साथ वह सब्जियों के मध्य ही हल्दी व तना के रूप में उगाये जाने वाले मसालों का उत्पादन भी ले रहे हैं। चौथे लाभ के रूप में खेत की मेंड़ पर ककरौंदा, कटहल, नीबू, नारंगी जैसे पेड़ भी स्थापित किए हैं। वह अन्य फसलें उगाने के साथ ही इंटरक्रा¨पग फार्मूले को अंजाम तक पहुंचाने तक प्रयासरत हैं। हालांकि अभी उनका कृषि मिशन कुछ सालों में पूरा होता नजर आयेगा लेकिन फार्मूला को कृषि विशेषज्ञों ने ही नहीं बल्कि अनुभवी किसानों ने भी उनके खेती को आत्मसात किया है। इस फार्मूले के तहत प्रति हेक्टेयर 5 लाख तक की आमदनी तय है। यदि बाजार भाव अच्छे मिले तो लाभ उसी के अनुरूप बढ़ सकता है। खेती का यह तजुर्बा वह अन्य किसानों को भी दे रहे हैं।


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