लहसुन-प्याज के तड़के बिना बेस्वाद हुई दाल
लहसुन-प्याज के तड़के बिना दाल और सब्जियां भी बेस्वाद होने लगी हैं। बारिश के कारण थोक बाजार में प्याज की आमद कम होने से दाम बढ़ते जा रहे हैं। वहीं लहसुन की फसल स्थानीय स्तर पर अधिक होने से बाहर की मंडियों में बढ़ी कीमतों के कारण पिछले कुछ दिनों में ही थोक बाजार में इसकी कीमत आसमान छूने लगी है। हालांकि लहसुन की उपज करने वाले किसानों के चेहरे बढ़ी कीमतों से खिल गए हैं मगर प्याज और लहसुन के दाम बढ़ने से मसालों और तड़का में उपयोग में लाई जाने वाली ये वस्तुएं लोगों के चेहरे मुरझा रहीं हैं।
एटा, जागरण संवाददाता: लहसुन-प्याज के तड़के बिना दाल और सब्जियां भी बेस्वाद होने लगी हैं। बारिश के कारण थोक बाजार में प्याज की आमद कम होने से दाम बढ़ते जा रहे हैं। वहीं लहसुन की फसल स्थानीय स्तर पर अधिक होने से बाहर की मंडियों में बढ़ी कीमतों के कारण पिछले कुछ दिनों में ही थोक बाजार में इसकी कीमत आसमान छूने लगी है।
दरअसल दो माह पूर्व दस रुपये किलो बिकने वाला प्याज इन दिनों थोक मंडी में 4200 रुपये प्रति कुंतल बिक रहा है। अच्छे प्याज के दाम 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। दो माह पूर्व 3 हजार रुपये से 5500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिकने वाला लहसुन इन दिनों दामों में हुई बेतहाशा वृद्धि के चलते लोगों की हद से दूर होने लगा है। वर्तमान में लहसुन मंडी में लहसुन का भाव 7 हजार से 14500 रुपये प्रति कुंतल तक पहुंच गया है। इसमें लहसुन मीडियम का भाव 7 हजार चल रहा है, तो लड्डू के नाम से पुकारा जाने वाला लहसुन 10000 रुपये प्रति कुंतल है। जबकि फूल लहसुन का भाव सर्वाधिक 14500 तक पहुंच गया है। यहां बता दें कि दो माह पहले उपरोक्त तीन लहसुन की वैरायटी क्रमश: 3 हजार, 4 हजार और 5500 रुपये तक रही। क्या कहते हैं आढ़ती
- बारिश की वजह से प्याज की नई फसल की पैदावार प्रभावित हो रही है। जिसके कारण नई प्याज न मिलने के कारण मध्य प्रदेश से प्याज की आमद करनी पड़ रही है। लिहाजा प्याज के भाव बढ़ रहे हैं।
मो. हुजैफा राईन आढ़ती
- लहसुन किसान पिछले दो वर्ष से फसल की कीमतों की गिरावट झेल रहे थे। जिसके कारण लहसुन पिछले वर्ष 200 से 300 रुपये कुंतल पर रहने से किसान को खासा घाटा उठाना पड़ा। इस बार किसान को अच्छा लाभ मिल रहा है।
उमेशचंद्र गुप्ता, आढ़ती फिलहाल नहीं है कोई कमी
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भले ही हालातों से प्याज व लहसुन महंगा हो, लेकिन मंडी या फुटकर विक्रेताओं के यहां उपलब्धता बरकरार है। महंगे भाव देख जहां किसान तेजी से बिक्री कर रहे हैं। वहीं आढ़ती बाहर से भी आपूर्ति प्राप्त कर मंडियों को भेज रहे हैं।