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किसान का दर्द: उर्वरकों ने बढ़ाई लागत, मिट्टी की बिगड़ी सेहत

मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अहमियत अब तो समझनी होगी। मिट्टी की जांच न करान

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 10:13 PM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 06:27 AM (IST)
किसान का दर्द: उर्वरकों ने बढ़ाई लागत, मिट्टी की बिगड़ी सेहत
किसान का दर्द: उर्वरकों ने बढ़ाई लागत, मिट्टी की बिगड़ी सेहत

एटा, जागरण संवाददाता: मृदा स्वास्थ्य कार्ड की अहमियत अब तो समझनी होगी। मिट्टी की जांच न कराने या फिर स्वास्थ्य कार्ड लेने के बावजूद अनदेखी से किसान खुद परेशान हैं। अच्छी फसलों की चाहत में अंधाधुंध उर्वरकों का प्रयोग कर एक तो खेती की लागत बढ़ जाती है। वहीं ऐसे हालातों से किसान खुद मिट्टी की सेहत खराब कर नुकसान झेल रहे हैं। ज्यादा खर्चा कर उत्पादन भी कम होने जैसी स्थिति किसानों को विचलित कर देती हैं।

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जनपद में भी अभी तमाम किसान ऐसे हैं, जिन्हें मृदा स्वास्थ्य कार्ड नहीं मिले। वहीं 80 फीसद से ज्यादा ऐसे भी हैं, जो कि कार्ड मिलने के बावजूद कृषि विशेषज्ञों की राय को दरकिनार कर बिना जरूरत के ही उर्वरक खेतों में डालकर मिट्टी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। हाल यह है कि किसान फसलों से अच्छा लाभ न मिलने का रोना रोते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि वह 30 से 40 फीसद लागत बेवजह उर्वरकों पर खर्च करते हैं। यदि यही लागत मिट्टी की जरूरत के अनुरूप उर्वरक लगाकर की जाए तो खर्चा बहुत कम हो जाएगा। कम उत्पादन पर फसल चक्र बदलने जैसी स्थितियां भी गलत हैं। फसल चक्र से ज्यादा बाजार का रोना

जिले में किसान जिस फसल चक्र को अपना रहे हैं, वह गलत नहीं है, लेकिन मुश्किलें ज्यादा लागत और फिर फसल का बाजार मूल्य न मिलने को लेकर है। ज्यादातर किसान 2 या 3 फसलों का चक्र ले रहे हैं। मुख्यत: गेहूं, धान के अलावा मूंग उत्पादन से अच्छे परिणाम रहे हैं। धान बर्बाद होने पर दो फसलें और बारिश सही हुई तो तीनों फसलें लाभ देती हैं। इसके अलावा मूंगफली की तीन फसलें या फिर आलू और मूंगफली, आलू-बाजरा का द्विचक्र भी लाभकारी है। समस्या बाजार भाव के कारण कभी आलू तो कभी आपदाओं से फसलों का बर्बाद होना प्रमुख है। वैसे जागरूक किसान फसलों के साथ सब्जी व औद्यानिक खेती से भी लाभ कमा लेते हैं। बंजर नहीं पर कम हो गए कई तत्व

जिले में खेती के चक्र में खास बदलाव नहीं हैं। जरूरत किसानों को मिट्टी की जांच के बाद जरूरी तत्वों की पूर्ति करना है। यहां भूमि बंजर तो नहीं, लेकिन नाइट्रोजन व जैविक कार्बन की मिट्टी में कमी काफी चिंताजनक है। किसानों को मृदा जांच कराकर मिट्टी को उपचारित करने में दिलचस्पी लेनी चाहिए। जहां तक हो जैविक खेती लागत कम और उत्पादन बढ़ाती है।

डा. वीरेंद्र सिंह, मृदा वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र यह है जिले की मिट्टी का हाल

तत्व सामान्य मानक उपलब्धता

पीएच 6.5-8.5 7.6

ईसी 1 से कम पर्याप्त

जैविक कार्बन 0.5-0.8 .35 (चिताजनक)

नाइट्रोजन 0.8 0.2 से 0.5 (चिंताजनक)

फासफोरस 20 से 40 13 से 16

पोटेशियम 101 से 250 200

सल्फर 10 से 15 10

जिक 0.60-1.2 0.60

बोरान 0.4 से 0.6 0.60

आयरन 8.0 पर्याप्त

मैग्नीज 4.0 पर्याप्त

कॉपर 0.40 पर्याप्त


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