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डॉक्टर न कर्मचारी, कर रहे अस्पताल में इलाज

स्वास्थ्य विभाग अनाधिकृत रूप से चिकित्सा व्यवसाय करने वाले निजी चिकित्सालयों में अप्रशिक्षित लोग आ गए हैं। वे मरीजों की चिकित्सा कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 10:13 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 10:13 PM (IST)
डॉक्टर न कर्मचारी, कर रहे अस्पताल में इलाज
डॉक्टर न कर्मचारी, कर रहे अस्पताल में इलाज

जागरण संवाददाता, एटा: इन दिनों स्वास्थ्य विभाग अनाधिकृत रूप से चिकित्सा व्यवसाय करने वाले निजी डॉक्टरों के विरुद्ध अभियान चला रहा है। लेकिन सरकारी अस्पतालों में ही व्यवस्थाएं तार-तार हो रही हैं। जिला अस्पताल में कुछ अनाधिकृत लोग हर दिन बैठकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। अफसर जानते हुए भी कुछ करने को तैयार नहीं हैं।

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सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल सबसे बड़ी इकाई है। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवाएं दिए जाने का दावा किया जाता है। पद भी सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों के ही हैं। यह बात अलग है कि यहां पदों के लिहाज से डॉक्टर पूरे हो ही नहीं पाते हैं। जो हैं उनमें भी सब विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। गंभीर बात तो यह है कि डॉक्टरों की कमी की आड़ में मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। बीएएमएस डॉक्टर को ही ओपीडी की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। जो बिना किसी वरिष्ठ चिकित्सक की देखरेख में मरीजों का परीक्षण और उपचार लिखते रहते हैं। दो कक्षों में तो बिना किसी डिग्री और बिना अस्पताल में नियुक्ति के दो लड़के जमे रहते हैं। जो अनाधिकृत रूप से मरीजों का उपचार भी करते रहते हैं। कुछ दिनों से नेत्र रोग विभाग में किसी बाहरी व्यक्ति के जरिए मरीजों का नेत्र परीक्षण कराया जा रहा है, जबकि अस्पताल में दो नेत्र परीक्षण अधिकारी तैनात हैं। ऐसा नहीं है कि इस स्तर पर लंबे समय से चल इन गड़बड़ियों की जानकारी विभागीय अधिकारियों को न हो। लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हो पाई है। चतुर्थ श्रेणी कर्मी भी लिख देते हैं दवा

अस्पताल का हाल तो यह है कि यहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी दवा लिख देते हैं। अक्सर डॉक्टर एक से 1.30 बजे तक उठ जाते हैं। जबकि दो बजे तक ओपीडी के निर्धारित समय तक मरीजों की भीड़ बनी रहती है। ऐसे में डॉक्टरों की कुर्सियों पर कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बैठ जाते हैं। मरीजों को जानकारी नहीं होती। जबकि ये कर्मचारी डॉक्टर के रूप में कोई भी दवा लिखकर थमा देते हैं। जिससे कि डॉक्टरों की अनुपस्थिति को लेकर विरोध की स्थिति न बनने पाए।

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वरिष्ठ चिकित्सक की देखरेख में आयुर्वेद के डॉक्टर मरीजों का परीक्षण कर सकते हैं, लेकिन बाहरी और अनाधिकृत लोगों द्वारा उपचार किए जाने की बात गंभीर है। इस मामले में जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

- डॉ. अजय अग्रवाल, सीएमओ


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