मर्ज को और बढ़ा रही जिला अस्पताल की बदइंतजामी
हर दिन पहुंचते हैं एक हजार से अधिक मरीज ओपीडी में बैठ रहे महज दो नियमित चिकित्सक
एटा, जासं। वायरल, मलेरिया, टायफाइड आदि बीमारियों का प्रकोप छाया हुआ है। मरीजों की भरमार है, लेकिन इलाज की व्यवस्था संभाले सरकारी अस्पताल ही बीमार नजर आ रहे हैं। जिला अस्पताल में चिकित्सकों का मिलना ही मुश्किल बना हुआ है। नियमित चिकित्सक ओपीडी में नहीं बैठ रहे। संविदा चिकित्सक और प्रशिक्षु चिकित्सकों को ही इलाज का पूरा जिम्मा दे दिया गया है।
जिला अस्पताल में एक दर्जन से अधिक चिकित्सकों की टीम है। कई विशेष चिकित्सक हैं, लेकिन उनकी सेवाएं आम मरीजों को नहीं मिल पा रहीं। नेत्र रोग और अस्थि रोग विभाग में एक-एक नियमित चिकित्सक बैठे नजर आते हैं। जबकि बाल रोग और फिजीशियन कक्ष में कोई भी नियमित चिकित्सक लंबे समय से ओपीडी करते नहीं दिखे हैं। शनिवार को भी बाल रोग कक्ष में एक संविदा चिकित्सक और फिजीशियन कक्ष में एक प्रशिक्षु चिकित्सक मरीजों की नब्ज टटोल रहे थे। फिजीशियन कक्ष के बाहर महिला-पुरुष मरीजों की दो कतार थीं। 10 बजे के बाद होता है समय:
जिला अस्पताल की ओपीडी का समय सुबह आठ से दोपहर दो बजे तक का है, लेकिन यह समय सारिणी तो कागजी है। असल मर्जी तो अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों की चलती है। यहां सुबह 10 बजे के बाद चिकित्सकों के आने का समय होता है। तब जाकर मरीजों का इलाज मिलना शुरू होता है। दोपहर एक बजे तक यह समय समाप्त हो जाता है।