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गलियों में गंदा पानी, सड़कें दल-दल में तब्दील

एटा: ग्राम नगला मदारी में गांव में ट्रांसर्फामर तो लगा है लेकिन बिजली के खंभे नहीं लगे। न ही तार खींचे गये हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 10:58 PM (IST)
गलियों में गंदा पानी, सड़कें दल-दल में तब्दील
गलियों में गंदा पानी, सड़कें दल-दल में तब्दील

जागरण संवाददाता, जलेसर (एटा): गलियों में गंदा पानी बहता है। सड़कें कीचड़ के कारण दल-दल में तब्दील हो चुकी हैं। लोगों का गली-कूचों में निकलना दुश्वार हो रहा है। यह हाल है जलेसर विकास खंड के गांव नगला मदारी का।

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छोटा गांव होने के कारण आज तक किसी प्रधान ने गांव के विकास को वरीयता नहीं दी। स्थिति यह है कि यहां विकासपरक योजनाओं को ग्रहण लगा है। सड़कें कीचड़ के कारण दल-दल में तब्दील नजर आती हैं। नालियों के अभाव में घरों का गंदा पानी गलियों में भरा रहता है। जिसके चलते गलियों से निकलना भी दूभर हो गया है। सफाई कर्मचारी तो ग्रामीणों ने काफी समय से नहीं देखा। सड़कों की बदहाली व सफाईकर्मी के नियमित न आने के कारण गांव में जगह-जगह टूटी सड़कों पर कीचड़ व जलभराव की स्थिति बनी हुई है। आये दिन गांव के बुजुर्ग व बच्चे कीचड़ में गिर जाते हैं। इस गांव को शौचालय योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा।

गांव में विद्युत विभाग द्वारा दो ट्रांसफारमर लगाए गए हैं, लेकिन आज तक न तो कोई विद्युत पोल लगाया है और न ही तार डाले गए हैं। जबकि गांव में दो दर्जन से अधिक घरेलू विद्युत कनेक्शन हैं तथा सभी को मजबूरन 150 से 200 मीटर तक केबिल खींचनी पड़ी है। जबकि विभाग के नियमानुसार 30 मीटर से अधिक दूरी पर कनेक्शन दिये जाने का प्रावधान है। प्यास बुझाने का इकलौता साधन गांव में लगा एक मात्र हैंडपंप है। ग्रामीणों की बार-बार मांग के बावजूद गांव में कोई दूसरा हैंडपंप नहीं लगाया गया।

बोले ग्रामीण

गांव में वर्षों से सफाई कर्मचारी नहीं देखा। प्रधान और पंचायत सचिव भी कभी नहीं आते जो यहां का हाल देख सकें।

- साहूकार ¨सह

गलियां कच्ची होने तथा नालियों के अभाव में गंदा पानी गलियों में ही भरा रहता है। जिससे राह निकलना भी दूभर हो जाता है।

- संजय कुमार

नगला मदारी में बिजली कनेक्शन देने से पहले यह नहीं सोचा गया कि यहां पर आपूर्ति कैसे दी जाएगी। कई बार शिकायत की गई, मगर बिजली के तार और खंभे आज तक नहीं खींचे गए।

- देवीराम

शौचालय के लिए कई बार सर्वे हुए, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। अधिकांश ग्रामीण खुले में ही शौच करते हैं। अधिकारियों को ग्रामीणों ने ज्ञापन भी दिए, मगर उन पर भी आज तक कोई अमल नहीं किया गया।

- रमेश बाबू


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