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व्यापारियों से डरा खाद्य सुरक्षा विभाग

जागरण संवाददाता, एटा: अपनी सुरक्षा को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग भयभीत है। छापामार और सैंपल

By JagranEdited By: Published: Sat, 13 Jan 2018 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jan 2018 05:40 PM (IST)
व्यापारियों से डरा खाद्य सुरक्षा विभाग
व्यापारियों से डरा खाद्य सुरक्षा विभाग

जागरण संवाददाता, एटा: अपनी सुरक्षा को लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग भयभीत है। छापामार और सैंपल कार्रवाई के दौरान व्यापारियों और मिलावटखोरों से होने वाली विवाद की स्थिति को लेकर उन्हें खतरा महसूस हो रहा है। कार्रवाई के दौरान पुलिस फोर्स न मिलने का भी मलाल है। इन परिस्थितियों को लेकर विभाग के दो लोगों ने शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। प्रशासन को इन हालातों का हवाला भी दिया है।

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कुछ ही समय पहले की बात है दीपावली से पूर्व चलाए गए अभियान के दौरान अक्टूबर में विभागीय टीम ने मिरहची क्षेत्र के गांव कोयला में छापामार कार्रवाई की थी। यहां एक घर में ¨सथेटिक दूध फैक्ट्री चलाए जाने की खबर थी। टीम को लेकर एसडीएम पहुंचे थे। सैंपल कार्रवाई होने के बाद एसडीएम अपने सुरक्षा गार्डों के साथ चले आए। जबकि विभागीय टीम को गांव के लोगों ने घेर लिया। गाड़ी में रखे सैंपल निकालकर फेंक दिए और विभागीय लोगों से जमकर विवाद व खींचतान तक हुई। सूचना के बावजूद पुलिस समय से नहीं पहुंची। बमुश्किल जान बचाकर विभागीय टीम लौट सकी। इसी अभियान में अलीगंज कस्बा में हुई कार्रवाई के दौरान भी विभागीय टीम की घेराबंदी हुई थी। हालांकि, वहां साथ रहे एसडीएम ने सख्ती से मामला शांत करा दिया। लेकिन इन हालातों को लेकर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों में अपनी सुरक्षा को लेकर भय महसूस होने लगा है। कार्रवाई के दौरान आए दिन छुटपुट घटनाएं भी होती रहती हैं। यूं तो आदेश हैं कि कार्रवाई को जाते समय मजिस्ट्रेट और पुलिसबल साथ रहेगा। लेकिन समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस उपलब्ध नहीं हो पाते।

इसके तहत मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी और एक खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने अपने लिए पिस्टल का शस्त्र लाइसेंस बनवाने को आवेदन किया है। अधिकारियों को यह भी बताया है कि सरकारी काम में जोखिम के चलते शस्त्र रखना जरूरी ही नहीं मजबूरी भी है। जिससे किसी आपात स्थिति से निपटा जा सके।

अधिनियम में है सुरक्षा का प्रावधान

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खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम लागू तो हुए तो करीब छह साल बीत गए लेकिन इसकी व्यवस्थाओं को पूरी तरह आज तक अंजाम नहीं दिया जा सका है। अधिनियम में टीम की सुरक्षा का पहलू भी रखा गया था। जिसके तहत विभाग के अलग सुरक्षा बल का प्रावधान किया गया। जिले में विभाग को दो सुरक्षा बल के जवान मिलने चाहिए। लेकिन ऐसा हो नहीं सका है।

अधिकारी की बात

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बाजार में व्यापारियों या गांव-सूनसान में मिलावटखोरों की भीड़ के बीच कार्रवाई करना वास्तव में जोखिम भरा काम है। नियमानुसार टीम के साथ सुरक्षा बल होना चाहिए। लेकिन शासन से अभी तक ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाई है। स्थानीय पुलिस की उपलब्धता भी हर कार्रवाई के दौरान संभव नहीं हो पाती।

- अपूर्व श्रीवास्तव, अभिहीत अधिकारी, खाद्य सुरक्षा विभाग


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