पेट दर्द से चीख रहे गोवंश, चार की मौत
गायों को लेकर सरकार जहां एक तरफ गंभीर है। वहीं दूसरी ओर उसके नुमाइंदे गोशाला में गोवंश को भूसा तक नहीं खिला पा रहे। उन्हें तूरी मिलाकर खिलाई जा रही है। इस चारे से शहर की लालपुर स्थित गोशाला में दर्जनों गोवंश बीमार पड़ गए जिनमें से चार की मौत हो गई। सरकारी डाक्टर तक ठीक से इलाज नहीं कर पा रहे। मृत गोवंश को पोस्टमार्टम की औपचारिकता पूरी कराने के बाद दफना दिया गया।
एटा, जासं। गायों को लेकर सरकार जहां एक तरफ गंभीर है। वहीं दूसरी ओर उसके नुमाइंदे गोशाला में गोवंश को भूसा तक नहीं खिला पा रहे। उन्हें तूरी मिलाकर खिलाई जा रही है। इस चारे से शहर की लालपुर स्थित गोशाला में दर्जनों गोवंश बीमार पड़ गए, जिनमें से चार की मौत हो गई। सरकारी डाक्टर तक ठीक से इलाज नहीं कर पा रहे। मृत गोवंश को पोस्टमार्टम की औपचारिकता पूरी कराने के बाद दफना दिया गया।
लालपुर स्थित गोशाला में 100 से ज्यादा गोवंश हैं, इनमें कई सांड़, बछड़े व गाय हैं। चिकित्सकों के मुताबिक गोवंश को पेट दर्द की शिकायत है। रविवार को दो सांड़ व दो बछड़ों की मौत हो गई। इससे पहले वे कई दिन से बीमार चल रहे थे । उनसे उठा तक नहीं जा रहा था। गोशाला के कर्मचारी ने बताया कि गोवंश को भूसे में तूरी मिलाकर खिलाई जा रही है। भूसा कम होता है और तूरी की मात्रा ज्यादा रहती है। इसी चारे के कारण गोवंश मौत के शिकार हो रहे हैं। गोशाला के अंदर जाकर देखा गया तो प्रांगण में कई जगह तूरी बिखरी पड़ी थी, जिसे गाय, बछड़े खा रहे थे। कई गोवंश ऐसे दिखाई दिए जो उठने में भी सक्षम नहीं हैं और पेट दर्द के कारण चीख रहे थे। इधर जब हिदूवादी संगठनों को पता चला कि गोवंश की मौत हो गई है तो वे एकत्रित होकर गोशाला पहुंच गए और उन्होंने रोष जताया। इस बीच पशु चिकित्सकों का कहना है कि तूरी पशुओं के लिए लाभदायक नहीं। एक तरह से पशु लकड़ी का भूसा खाते हैं, जबकि पौष्टिक भूसा उन्हें दिया जाना चाहिए।