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भट्ठियों पर रोक से घुंघरू घंटी उद्योग पर संकट के बादल

जागरण संवाददाता, (एटा)जलेसर: जिले को सर्वाधिक राजस्व देने वाले शोरा व घुंघरू घंटी उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Jul 2018 10:26 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 10:26 PM (IST)
भट्ठियों पर रोक से घुंघरू घंटी उद्योग पर संकट के बादल
भट्ठियों पर रोक से घुंघरू घंटी उद्योग पर संकट के बादल

जागरण संवाददाता, (एटा)जलेसर: जिले को सर्वाधिक राजस्व देने वाले शोरा व घुंघरू घंटी उद्योग पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। ताज ट्रिपेजियम क्षेत्र के दायरे में आने पर उच्चतम न्यायालय ने यहां लकड़ी, कोयला, उपला व तूरी आदि ईंधन से संचालित भट्ठियों पर रोक लगा दी है। जिससे यहां की एक सैकड़ा से अधिक इकाइयां प्रभावित होना तय है। व्यवसायियों की भी बेचैनी कारोबार पर संकट को लेकर बढ़ गई है।

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नगर में सैकड़ों वर्षों से कलमी शोरा बनाने का उद्योग चल रहा है। लगभग दो दर्जन इकाइयां साल में एक हजार मीट्रिक टन से भी ज्यादा शोरा का उत्पादन करती हैं जो कि देश भर में न सिर्फ आतिशबाजी बल्कि धूपबत्ती, अगरबत्ती, दवाओं तथा विभिन्न प्रकार के स्वास्थ्यव‌र्द्धक चूर्ण में उपयोग किया जाता है। वहीं घुंघरू-घंटी उद्योग नगर की गली-गली में घर-घर कुटीर उद्योग के रूप संचालित हैं। नगर में एक सैकड़ा से अधिक घरों में भट्ठियों पर पीतल को पिघलाकर उसे घुंघरू, घंटी व घंटे के रूप में ढाला जाता है। सैकड़ों वर्षों से यहां के लोग इस उद्योग में ऐसे रमे हैं कि उन्होंने इस काम के अलावा किसी और काम का प्रयास ही नहीं किया। नगर के लगभग 3000 परिवार घुंघरू-घंटी की ढलाई से लेकर रिताई, कटाई, पॉलिश व पै¨कग के काम में लगे हैं।

गुरुवार को प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने न सिर्फ एक शोरा फैक्ट्री में बनी भट्ठी को तुड़वाया बल्कि नगर में छोटी- छोटी हलवाइयों व चाट-पकोड़ी की दुकानों तथा ढाबों पर भी भट्ठियां बंद करायीं। लकड़ी व कोयला आदि का उत्सर्जन न करने की चेतावनी दी है। विभाग का कहना है कि व्यापारी एलपीजी का इस्तेमाल करें। यहां समस्या यह है कि चाट-पकौड़ी, हलवाई व ठेल-ढकेलों पर एलपीजी ¨सलेंडर से कार्य कराना संभव है ¨कतु शोरा फैक्ट्रियों व पीतल भट्ठियों के लिए उच्चताप की आवश्यकता गैस पाइप लाइन के बगैर संभव नहीं है। प्रशासन ने भट्ठियां बंद कराने को कार्यवाही तो शुरू कर दी ¨कतु इन्हें सुचारू चलाने के लिए गैस पाइप लाइन डलवाने की कोई व्यवस्था नहीं की है। यह बोले लोग

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जलेसर देश-विदेश में यहां बनने वाले कलमी शोरा, घुंघरू, घंटी व घंटों के लिए प्रसिद्ध है। प्रशासन न्यायालय के आदेशों का पालन तो कराये ¨कतु यहां के विश्व प्रसिद्ध उद्योग को न उजाड़े। व्यापार हित में यहां गैस लाइन जरूरी है।

- विकास मित्तल, पालिकाध्यक्ष, जलेसर

उच्चतम न्यायालय के आदेशानुपालन में लकड़ी व कोयला को भट्ठियों में प्रयोग करने पर रोक लगाने से कोई परेशानी नहीं ¨कतु जरूरी यह है कि शासन-प्रशासन पहले वैकल्पिक व्यवस्था करे। अन्यथा हजारों व्यापारी और मजदूर बेरोजगार हो जाएंगे।

- कृष्णगोपाल गुप्ता, अध्यक्ष व्यापार मंडल भट्ठियों में प्रयुक्त ग्रेफाइड कोल, हार्ड कोक व सॉफ्ट कोक धुंआ रहित कोयला की श्रेणी में आते हैं। जिससे वातावरण को कोई नुकसान नहीं होता। ग्रेफाइड कोयला उच्चतम न्यायालय के मानक के अनुसार होता है। इसके प्रयोग से न्यायालय के निर्देश का पालन होगा।

- प्रवीण जैन, कोयला व्यापारी सरकार न्यायालय के आदेशों का पालन कराएं ¨कतु इसकी आड़ में व्यापारियों का उत्पीड़न न करे। सरकार पहले जलेसर क्षेत्र में उद्योगों के लिए ईंधन का विकल्प तैयार करे। उसके बाद ही कार्यवाही की जाये।

अमित अग्रवाल, शोरा व्यवसायी


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