खपत और मांग में दूध की शुद्धता धड़ाम
दीपोत्सव आ पहुंचा है। ऐसे में शुद्ध दूध की बात दीवाली बाद तक भूल जाइए। खासतौर से घर-घर मिठाई बनती है। लोग मिठाई भी बहुत लेकर जाते हैं।
एटा: दीपोत्सव आ पहुंचा है। ऐसे में शुद्ध दूध की बात दीवाली बाद तक भूल जाइए। खासतौर से घर-घर पहुंचने वाली दूध की आपूर्ति पर तो कतई भी भरोसा न रखें।
सामान्य दिनों में औसतन रूप से रोजाना पांच से छह लाख लीटर दूध की मांग रहती है। यूं तो रोजाना दूध का उत्पादन आठ लाख लीटर के करीब है, लेकिन इसमें से एक चौथाई दूध बाहर भेज दिया जाता है। इस तरह आम दिनों में ही दूध की पूर्ति मुश्किल होती है। दीपावली पर यह हिसाब पूरी तरह डांवाडोल हो जाता है। घरेलू और व्यवसायिक मांग बेतहाशा बढ़ जाती है। मिठाई आदि बनाने के लिए दूध की खरीद बड़े स्तर पर होती है। त्योहार से पहले सप्ताह भर तक अंदाजन रोजाना की मांग कुल मिलाकर 10 लाख लीटर तक पहुंच जाती है। करवाचौथ से ¨सथेटिक दूध का कारोबार शुरू हो गया है। खासतौर से शहर की सीमाओं से लगे गांवों से नकली और मिलावटी दूध तैयार कर भेजा जा रहा है। मांग और किल्लत के चलते दूध की परख भी नहीं की जा रही और सीधे या मिठाइयों के रूप में यह दूध हमारी सेहत पर हमला बोलने के लिए तैयार है।
¨सथेटिक दूध की ऐसे करें पहचान
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- साबुन जैसी गंध आती है।
- स्वाद में कड़वापन आ जाता है।
- उबालने पर पीले रंग का हो जाता है।
- रगड़ने पर डिटर्जेंट जैसी चिकनाहट महसूस होती है। वर्जन
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गुप्त रूप से ऐसे स्थान चिह्नित किए जा रहे हैं, जहां मिलावटी और ¨सथेटिक दूध के कारोबार की संभावना है। जल्द इन पर कार्रवाई की जाएगी।
- जेपी तिवारी, डीओ, एफएसडीए