भाव खा रहीं दालें, बिगड़ रहा जायका
बढ़ रहे भाव के चलते भोजन की थाली से दालें गायब होने लगीं हैं। खुदरा बाजार में जहां देशी अरहर का भाव नौ हजार रुपये कुंतल है तो थोक भाव 7800 रुपये हो गया है। ऐसे में दो जून की रोटी कमाने वालों के लिए दालें फिर भाव खाने लगी हैं। तीन माह में दाल की कीमतों में 10 से 12 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। सितंबर में अरहर की दाल थोक बाजार में 60 से 70 रुपये किलो तक बिकी। जो हाल में 80 से 90 रुपये बिक रही है।
एटा, जासं। बढ़ रहे भाव के चलते भोजन की थाली से दालें गायब होने लगीं हैं। खुदरा बाजार में जहां देशी अरहर का भाव नौ हजार रुपये कुंतल है, तो थोक भाव 7800 रुपये हो गया है। ऐसे में दो जून की रोटी कमाने वालों के लिए दालें फिर भाव खाने लगी हैं। तीन माह में दाल की कीमतों में 10 से 12 फीसद बढ़ोत्तरी हुई है। सितंबर में अरहर की दाल थोक बाजार में 60 से 70 रुपये किलो तक बिकी। जो हाल में 80 से 90 रुपये बिक रही है।
गर्मी आते ही दालों की मांग बढ़ जाती है। मांग पूरी करने के लिए सप्लाई भी बढ़ाई जाती है, लेकिन इस बार चुनाव की भागमभाग में दालों की आवक कम ही रह गई है। इसका सीधा असर दालों के दाम पर पड़ा है। थोक में दालों के दामों में आठ से दस रुपये का इजाफा हुआ है, जिससे रिटेल बाजार में सीधे बारह से पंद्रह रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। दाल की कीमतों में इतनी वृद्धि होने से आम आदमी के किचन का बजट गड़बड़ाने लगा है। रिटेल व्यापारियों का कहना है कि थोक में दाल महंगी खरीदनी पड़ रही है, जिस कारण पंद्रह दिन पहले से अब के दामों में दस रुपये तक बढ़ोतरी हुई है। उधर, थोक व्यापारियों का तर्क है कि चुनाव के कारण पिछले दो महीनों से दिल्ली और चंदौसी से आने वाली दाल की आवक कम हुई है। वहीं, गर्मी के कारण लोकल में दाम बढ़ने से भी दाल की कीमतों में उछाल आया है। दलहन की खेती भी रही कम
चुनाव का असर दाल की आवक पर पड़ा है। व्यापारियों का कहना है दलहन की खेती कम होना भी दाम बढ़ने का एक कारण है। थोक व्यापारियों का कहना है समर्थन मूल्य से नीचे दाल बिकने के कारण दलहन की बुआई कम हुई है, जिस कारण भी आवक प्रभावित हुई है।
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दालों के दाम प्रति किलो में
दाल पहले अब
अरहर 70 90
उड़द धुली 60 70
उड़द 55-60 64
मूंग धुली 80 90
मसूर 55-60 70
राजमा 90 95
चना दाल 65 60
काबुली चना 70 75