डीएलएड परीक्षा में सहायता प्राप्त स्कूलों पर दांव
काफी लंबे इंतजार के बाद आयोजित की जा रही डीएलएड की परीक्षा में
एटा, जागरण संवाददाता : काफी लंबे इंतजार के बाद आयोजित की जा रही डीएलएड की परीक्षा में सहायता प्राप्त स्कूलों पर विश्वास जताया गया है। होने वाली परीक्षाओं में 90 फीसद केंद्र सहायता प्राप्त सिर्फ 10 फीसद केंद्र राजकीय स्कूल बनाए गए हैं। खास बात तो यह है कि परीक्षा केंद्रों के मामले में बदली गई नीति से नकलविहीन परीक्षाएं चुनौती से कम नहीं है।
यहां बता दें कि पूर्व में आयोजित कराई गई डीएलएड परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र बनाने के मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने पुराना ट्रेंड बदला था। पूर्व में सभी राजकीय स्कूलों को भी केंद्र बनाने के लिए प्राथमिकता दी गई। यह भी प्रयास किया गया कि ज्यादातर केंद्र मुख्यालय पर ही बनाए जाएं। अब 30 अक्टूबर से शुरू हो रहे डीएलएड परीक्षाओं के लिए कुछ अलग ही तरह की रणनीति परीक्षा केंद्रों के मामले में सामने आई है। जिन सहायता प्राप्त स्कूलों को डीएलएड परीक्षा के मामले में दूर रखा गया था अब उन पर ही ज्यादा भरोसा किया गया है। खास बात तो यह है कि जो परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं उनमें से कुछ केंद्र मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी तक है। ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गई केंद्रों की स्थिति को देखकर माना जा रहा है कि इस बार केंद्रों के निर्धारण में कहीं न कहीं कालेज संचालकों की भी भूमिका रही है। राजकीय कालेजों में परीक्षा कराए जाने के दौरान ज्यादातर डीएलएड कालेजों का परीक्षा फल प्रभावित हुआ। शायद कोरोना के प्रभाव से और भी ज्यादा परिणाम प्रभावित न हो इसके लिए परीक्षा केंद्रों की नई चौसर तैयार किया जाना माना जा रहा है। खास बात तो यह है कि मुख्यालय से दूर केंद्र तक प्रश्न पत्र पहुंचाने के अलावा अन्य व्यवस्थाएं भी कठिन है फिर भी इस तरह की स्थिति नकल विहीन परीक्षा के लिए प्रशासन को चुनौती बन सकती है। यहां बता दें कि केंद्र बनाने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग को जिम्मेदारी दी गई और विभाग में 16 परीक्षा केंद्रों का प्रस्ताव भेजा जिनमें से 10 की स्वीकृति मिल चुकी है। जिला विद्यालय निरीक्षक मिथिलेश कुमार ने बताया है कि केंद्रों का प्रस्ताव शासन से स्वीकृत हुआ है। परीक्षाएं पूर्ण निष्पक्षता से कराई जाएंगी।