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सिद्धू के तीतर पर बवाल, यहां न्यूजीलैंड के मुर्गे का कमाल

एटा: पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू पाकिस्तान से काला तीतर ले आए तो उस पर बवाल मच गय

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Dec 2018 10:51 PM (IST)Updated: Fri, 21 Dec 2018 10:51 PM (IST)
सिद्धू के तीतर पर बवाल, यहां न्यूजीलैंड के मुर्गे का कमाल
सिद्धू के तीतर पर बवाल, यहां न्यूजीलैंड के मुर्गे का कमाल

एटा: पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू पाकिस्तान से काला तीतर ले आए तो उस पर बवाल मच गया। पर्यावरण मंत्रालय तक जवाब मांग रहा है, लेकिन एटा के गांव अचलपुर में एक घर ऐसा भी है जो विदेशी मुर्गा पाले हुए है। इसे न्यूजीलैंड से यहां लाया गया। नियमानुसार पशु चिकित्सा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराने की जहमत भी नहीं उठाई गई। पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी ली गई अथवा नहीं, इसकी जानकारी भी नहीं। न्यूजीलैंड से आए क्रिश्चियन मिशनरी के सदस्य से मुर्गे को इस परिवार ने लिया था।

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नियम यह है कि अगर विदेशी पक्षी को भारत में कोई रखता है तो उसके पास तीन सर्टिफिकेट होने चाहिए। एक सर्टिफिकेट पर्यावरण मंत्रालय, दूसरा वाइल्ड लाइफ टूरिस्ट ऑफ इंडिया (डब्ल्यूटीआइ) और तीसरा पशु चिकित्सा विभाग का। अचलपुर के एक क्रिश्चियन परिवार के मुखिया राकेश के पास इनमें से कोई भी सर्टिफिकेट नहीं है। न्यूजीलैंड का यह मुर्गा एक वर्ष से उनके यहां रह रहा है। पूछने पर राकेश ने बताया कि न्यूजीलैंड में क्रिश्चियन मिशनरी के सदस्य उनके मिलने वाले हैं, वे ही उसे यहां लेकर आए और उन्हें सौंप दिया। हमें नहीं पता कि कौन से सर्टिफिकेट होने चाहिए। दरअसल यह मुर्गा देशी मुर्गों से बिल्कुल अलग है। इसकी ऊंचाई भी ज्यादा है और यह मोर की तरह अपने पंख फैलाता है। देखने में बेहद खूबसूरत सफेद रंग का यह मुर्गा बरबस ही अपनी ओर सबको आकर्षित कर लेता है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी केपी ¨सह ने बताया कि विदेशी मुर्गे के बारे में विभाग को कोई जानकारी नहीं दी गई है, यह पता कराया जा रहा है कि किन परिस्थितियों में वह यहां तक पहुंचा। ------

विदेशी पक्षी बीमारी लेकर भी आ सकते हैं। इस पक्षी को अगर कोई अपने यहां रखता है तो वह पालतू पक्षी की श्रेणी में आना चाहिए। मुर्गा पालतू पक्षी जरूर है, लेकिन अगर किसी के पास विदेशी पक्षी को लेकर सर्टिफिकेट नहीं है तो वह रखने का हकदार नहीं। पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी भी जरूरी है। न्यूजीलैंड से मुर्गा कैसे यहां तक पहुंचा, इसकी जांच कराई जाएगी।

- सुरेश चंद्र राजपूत, डीएफओ एटा


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