मतदाताओं में बेर सी मिठास, मूड़ बिगड़ा तो कर देते दांत खट्टे
मारहरा विधानसभा क्षेत्र वोटर बोले बच्चों को रोजगार मिले क्षेत्र में कम से कम ऐसा तो कोई उद्योग हो जो युवाओं की बेरोजगारी दूर करे
जासं, एटा: बेर, अमरूद जैसे मिठास भरे फलों की धरती मारहरा विधानसभा क्षेत्र। यहां गुलाब भी महकता है। भगवान बुद्ध की धरती अतरंजीखेड़ा धर्म की बयार बहाता है। कड़ाके की ठंड में अलाव के सहारे लोगों में बातें करते विकास और मदद की हैं तो बेसहारा पशुओं से परेशान लोगों की आवाज भी चौपालों पर सुनाई देती है। मतदाताओं की बातों में मीठे बेर सी मिठास है, जबकि उनका मिजाज ऐसा है कि मूड बिगड़े तो दांत भी खट्टे कर देते हैं।
चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो स्पष्ट है कि मारहरा क्षेत्र के मतदाताओं कभी एक के होकर नहीं रहे। बार-बार पार्टी और प्रत्याशियों को आजमाते रहे हैं। यहां के लोग का रुख और मंशा क्या है, ये जानने के लिए 'जागरण' की इलेक्शन बाइक पहुंची सराय अहमद खां में।
एक मकान के बाहर अलाव पर लोग हाथ सेंकते दिखे। यहां बैठे हुकुम सिंह बोले कि भैया, विकास और मुफ्त की योजना उनके नाम पै हर कोई जनता को लुभानौ चाहतै, पर हमाओ वोट तौ बाई ही जायैगो जो अपराधिन कौ जेल भेज कै भयमुक्त माहौल देगो। उनकी बात काटते हुए किसान नंदकिशोर और खूबचरन कहने लगे कि भैया महंगाई और बेरोजगारी तैं छुटकारो भी तौ जरूरी है। यहीं बैठे महेंद्र सिंह और देवेंद्र की सोच बिल्कुल अलग थी। उनका कहना था कि चुनाव से पूर्व हर प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए झूठे वादे करता है और जीतने के बाद मुड़कर भी नहीं देखता है। हम जांच परखकर ही वोट देंगे। अपने क्षेत्र के विकास काम को आगे बढ़ाने को दूसरों को भी मतदान के लिए प्रेरित करेंगे।
यहां से आगे बढ़ने पर गांव अजमतगंज के किसान महेश यादव मिल गए। चुनावी माहौल के बारे में पूछने पर कहा कि बच्चों को रोजगार मिले, क्षेत्र में कम से कम ऐसा तो कोई उद्योग हो जो युवाओं की बेरोजगारी दूर करे।
इलेक्शन बाइक जब असरौली में पहुंची तो वहां के मतदाता भी अलग चलते दिखाई दिए। उनका कहना था कि गांव शहर की सीमा से जुड़ा है इसलिए बुनियादी सुविधाएं तो खूब हैं, गांव अगर पालिका से जुड़ जाए तो और सुविधाएं मिल सकती हैं। निधौली कलां के गांव धौलेश्वर में भी मतदाता बंटे हुए हैं। यहां के राजपाल, भंवर सिंह बोले कि मारहरा विधानसभा में गुलाब, बेर, अमरूद, टमाटर का अच्छा उत्पादन होता है इसलिए इन फसलों पर आधारित उद्योग यहां होना चाहिए। ग्रामीणों की बहस में स्वच्छता, शौचालय जैसे मुद्दे भी शामिल हैं।