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श्वान और बंदरों का उत्पात, एंटी रेबीज का टोटा

इंजेक्शन लगवाने अस्पताल में भटक रहे मरीज 250 तक रोज उपचार को आ रहे मरीज

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Feb 2020 11:48 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 06:09 AM (IST)
श्वान और बंदरों का उत्पात, एंटी रेबीज का टोटा
श्वान और बंदरों का उत्पात, एंटी रेबीज का टोटा

एटा, जासं। जिला अस्पताल में श्वान और बंदरों के काटने के मरीजों की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। एंटी रेबीज इंजेक्शन के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है। उन्हे इसकी उपलब्धता न होने से निराश होकर लौटने को विवश होना पड़ता है।

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बुधवार को जिला अस्पताल के एंटी रेबीज पटल के कक्ष पर ऐसे मरीजों की लंबी कतार लगी रही, लेकिन इंजेक्शन मुहैया न होने से उन्हे भारी मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है।

जिले में बंदर और श्वान के काटने के पीड़ित लगातार बढ़ रहे हैं। जिला अस्पताल के इंजेक्शन कक्ष में रोजाना 200 से 250 मरीज इस समस्या से परेशान होकर आ रहे हैं। सबसे ज्यादा समस्या शहर में है।

शहर के मुहल्ला श्यामनगर, शांतीनगर, वनगांव, अम्बेडकर नगर, पीपल अड्डा, किदवईनगर, रैवाड़ी मुहल्ला मारहरा दरवाजा, नगला पोता के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंदरों और श्वान का खौफ है। स्थिति यह है कि ये आए दिन किसी न किसी राहगीर को काटकर घायल कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में कासगंज रोड के गांव दतेई के राजेश कुमार, मनूपुरा सकीट की ममता देवी, निधौलीकलां की मुन्नी देवी, कुनावली के छोटे, चमकरी के रामनिवास, धुमरी के कर्मकुमार, खंगारपुर के अभिनव कुमार का कहना है कि श्वान ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया हैं, मगर अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन मुहैया न होने से परेशानी हो रही है। काफी दूर से किराया खर्च कर वे अस्पताल इस उद्देश्य से आए थे कि कम से कम उपचार तो हो जाएगा, मगर यहां भी इंजेक्शन का टोटा है। शहर के जैन गली की सरला देवी, श्यामनगर की नाजरीन बेगम, रैवाड़ी मुहल्ला की कमलेश, शांतीनगर के ऋषभ कुमार ने बताया कि वे पिछले दो दिन से इंजेक्शन को भटक रहे हैं, लेकिन दो दिन बीतने के बाद भी उनकी कोई नहीं सुन रहा। क्या कहते हैं फार्मासिस्ट:

फार्मासिस्ट एवं पटल प्रभारी शिव प्रताप ने बताया कि उन्होंने एंटी रेबीज इंजेक्शन और डोज मंगाने को उत्तर प्रदेश कार्पोंरेशन लखनऊ के लिए एक व्यक्ति को भेजा है। संभवत: शुक्रवार तक इसकी उपलब्धता हो जाएगी। उनके अनुसार प्रतिदिन एंटी रेबीज के लिए उनके यहां दो सौ से ढाई सौ तक मरीज उपचार को आते हैं। खपत अधिक होने से ये कम पड़ जाते हैं।


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