राजमिस्त्री की मौत के बाद बढ़ गया श्वानों का खौफ: फोटो
मिरहची क्षेत्र के गांव श्यामपुर में श्वानों के हमले में मौत का शिकार
एटा, जागरण संवाददाता: मिरहची क्षेत्र के गांव श्यामपुर में श्वानों के हमले में मौत का शिकार हुए राजमिस्त्री का सोमवार रात अंतिम संस्कार हो गया। इसके बाद गांव में हाल यह है कि बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक श्वानों के खौफ में दिखे। भले ही वीभत्स घटना के बाद प्रशासन कतई हरकत में नहीं आया, लेकिन गांव का माहौल खतरनाक श्वानों से बचने और अपनी सुरक्षा को लेकर लोगों के सतर्क होने के रूप में दिखा। तमाम बच्चे डर की वजह से या फिर परिजनों के मना कर देने से स्कूल नहीं पहुंचे।
गांव सिकतरा निवासी राजमिस्त्री 55 वर्षीय तेजपाल सिंह की मौत हो गई। श्यामपुर और आसपास के गांवों में भी श्वानों का खौफ दिखा। कहने को तो प्रशासन ने खतरनाक श्वानों को वन विभाग से पकड़वाने की बात कही, लेकिन मंगलवार को इस मामले में प्रशासन कतई सजग नहीं दिखा। श्यामपुर में जिस स्थान पर घटना हुई। वहीं आदमखोर श्वान काफी तादाद में हैं। कारण यही है कि वहां मुर्गा फार्म से मृत मुर्गे और मुर्गियां बाहर फेंकी जाती हैं और यह श्वान उन्हें अपना निवाला बनाकर उग्र हो जाते हैं। घटना के बाद जहां प्राइमरी स्कूल के समीप राजमिस्त्री का शव मिला था, वहां डर से बच्चे भी पढ़ने के लिए नहीं पहुंचे। कुछ बच्चों को अभिभावक हाथों में डंडे के साथ वहां तक पहुंचाते दिखे। यही नहीं कृषि कार्य करने के दौरान भी ग्रामीण सतर्क थे। उधर जिले में भी घटना का खौफ लोगों में इसी वजह से है कि कहीं भी श्वानों से निपटने के इंतजाम नहीं हैं। भले ही श्वान और बंदरों से सुरक्षा के लिए निकाय और पंचायतों को बजट मिलता हो, लेकिन इस मुद्दे पर कभी सकारात्मक स्थिति नहीं रही। बजट कहां जाता है कुछ पता नहीं। प्रशासन की सुस्ती पर ग्रामीण गरम
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घटना के बाद कोई भी टीम क्षेत्र में श्वान पकड़ने नहीं पहुंची। ऐसे में ग्रामीण गुस्से में दिखे और यही कह रहे थे कि यदि प्रशासन ने जिम्मेदारी न निभाई तो वह खुद श्वानों का इंतजाम करेंगे। ग्रामीण कुछ इस तरह बोले-
- राजमिस्त्री की मौत के लिए प्रशासन जिम्मेदार है। क्योंकि आज तक खतरनाक श्वानों को लेकर कार्रवाई नहीं हुई। ओमप्रकाश आर्य - घटना के बाद टीम भेजी जानी थी, लेकिन नहीं पहुंची, अब हमें ही खुद सुरक्षा को आगे आना होगा। राकेश कुमार
- अस्पतालों में रैबीज इंजेक्शन को वर्षों से कतारें लगती हैं। फिर भी कोई उपाय न होना लापरवाही है। अंशू राजपूत
- लोगों में खौफ है अब तो रात में खेतों पर भी जाने के लिए खुद की सुरक्षा करनी होगी। उपेंद्र कुमार ------
यह जानकारी की जा रही है कि कहीं किसी क्षेत्र में जंगली कुत्ते तो नहीं हैं। आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए वन विभाग को निर्देशित किया गया है, जल्दी कार्रवाई होगी।
केपी सिंह, एडीएम प्रशासन