गरबा व डांडिया उत्सव में महिलाओं ने मचाया धमाल
इनरव्हील क्लब सेंट्रल की तरफ से गोरखपुर रोड स्थित एक होटल के हाल में सोमवार की रात गरबा व डांडिया उत्सव में महिलाओं खूब मस्ती की और धमाल मचाया। महिलाएं फिल्मी गानों पर देर रात तक थिरकती रहीं।
देवरिया: इनरव्हील क्लब सेंट्रल की तरफ से गोरखपुर रोड स्थित एक होटल के हाल में सोमवार की रात गरबा व डांडिया उत्सव में महिलाओं खूब मस्ती की और धमाल मचाया। महिलाएं फिल्मी गानों पर देर रात तक थिरकती रहीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष सुचित्रा अवस्थी, अर्शिया रहमान, यशोदा जायसवाल, माया त्रिपाठी, प्रणिता श्रीवास्तव, प्रियंका जोशी व शिखा बरनवाल ने दीप प्रज्वलित कर किया। अध्यक्ष अवस्थी ने कहा कि ऐसे आयोजनों से महिलाओं के अंदर एक नई उर्जा का संचार होता है। छिपी हुई प्रतिभा भी बाहर आती है। एक खुशनुमा माहौल में कुछ देर रहने का अवसर मिलता है। ऐसे आयोजन आगे भी होते रहेंगे। गणेश वंदना के साथ ही भक्ति व उसके बाद फिल्मी गानों का दौर शुरू हुआ। जिसमें डोला रे डोला रे.. राधा कैसे न जले.. आदि गीतों पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान प्रियंका, संध्या, संतोष, विनीता, सुचित्रा, नम्रता ने शानदार नृत्य किया। अंत में सहभोज कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहां मुख्य रूप से मधु चौरसिया, बनामिका बरनवाल, उर्मिला यादव, एकता, शीला, रूपाली, नुपुर, अंजना, चांदनी, पुष्पा, सरिता, रेखा भारती, लक्ष्मी, सीमा, किरन आदि मौजूद रहीं। राम के वियोग में राजा दशरथ ने त्यागा प्राण
स्थानीय कस्बे के सब्जी मंडी में रामलीला महोत्सव के सातवें दिन भगवान राम के वियोग में राजा दशरथ के प्राण त्यागने के दृश्य ने दर्शकों को भावुक कर दिया।लीला में सुमंत जब राम से विदा लेकर अयोध्या पहुंचे तो वहां सुमंत को देख दशरथ व्याकुल हो जाते हैं और राम सीता लक्ष्मण के वापसी और वनगमन का पूरा वृतांत पूछते हैं। सुमंत के संवाद के दौरान दशरथ को अपने युवा अवस्था के घटना याद आ जाता है। रानी कौशल्या से कहते हैं मेरे द्वारा शब्द भेदी बाण से श्रवण कुमार का अंत हुआ था। हे रानी श्रवण कुमार के माता पिता हमे बुला रहे हैं। हे राम कहते हुये वे अपने प्राण त्याग देते हैं उधर दूसरे दृश्य में नंदीग्राम में भरत पिता के स्वर्गवास की सूचना सुनते हैं। भरत अयोध्या आते हैं, तीनो माता कौशल्या, सुमित्रा, कैकेयी से वार्तालाप करते हैं और कैकेयी को बुरा भला भी कहते हैं । सुमंत भरत को समझाते हैं भरत गुरु सहित तीनों माताओं स्वजन और सेना के साथ चित्रकूट कूच कर देते हैं। रास्ते मे भारद्वाज मुनि और निषाद राज से भेट होता है। उधर लक्ष्मण को पता चलता है कि भरत सेना के साथ आ रहा है तो वह क्रोधित हो जाते हैं। केवट चित्रकूट में वह स्थान दिखाता है जहां भगवान राम ठहरे हैं। भरत दौड़ते हुए राम को प्रणाम कर गले लग जाते हैं। भरत राम से भावुक होकर अयोध्या लौटने का विनय करते हैं। लेकिन राम लौटने से मना कर देते हैं। माता-पिता के आदेश का पालन करना पुत्रों का धर्म है। इसलिए भरत नीति के अनुसार राज्य का पालन करना आपका धर्म है। भरत निराश होकर भगवान राम का चरणपादुका लेकर अयोध्या लौट जाते हैं।