जहां चाहत होती है वहीं प्रेम टिकता है: प्रेम भूषण
कलियुग का जीव बड़ा विचित्र है जब तक भुगत नहीं लेता है तब तक मानता नहीं है।
देवरिया: शहर के एसएसबीएल इंटर कालेज परिसर में श्रीराम कथा के पांचवे दिन रविवार को प्रेम भूषण जी महराज ने धनुष यज्ञ, परशुराम जी का आगमन, दूत का अयोध्या से मिथिला पधारने, बरात का मिथिला की ओर प्रस्थान कर पन्द्रह दिन पूर्व ही पहुंचने पर भव्य स्वागत की कथा का रसपान कराया। उन्होंने कहा कि प्रेम में बहुत ताकत है। बशर्ते व सच्चा होना चाहिए। प्रेम का कड़वा सच यह भी है कि जहां चाहत होती है वहीं यह टिकता है।
उन्होंने कहा कि धर्म तत्व सूक्ष्म है, श्रद्धा फलती है, धर्म जाग्रत करता है। जिसके जीवन में धर्म होता है वह सदैव सुखी रहता है। अधर्म पर चलने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता है। जिसके जीवन में धर्म रहेगा उसके जीवन में सुख सम्पत्ति स्वयं चलकर आ जाती है। धर्म जीव में हमेशा बने रहना चाहिए। धर्म साक्षात परमात्मा की प्रतिमूर्ति है। घर में आए अतिथि का देवतुल्य समझ कर स्वागत करना चाहिए। जो अभाव में जी रहा है वह धरती का सबसे सुखी आदमी है क्यों कि अभाव में ही भगवान के भजने का स्वभाव बनता है।
यहां पुरुषोत्तम मरोदिया, उपेन्द्र त्रिपाठी, अपुष्पा बरनवाल, वंदना बजाज, रीना केडिया, नित्यानंद पांडेय, संजय जाखोदिया, अनिल जाखोदिया आदि मौजूद रहे।