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बच्चों को तेजी से चपेट में ले रहा टीबी

बनकटा व भाटपाररानी ब्लाक क्षेत्र में सर्वाधिक टीबी मरीज हैं। उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा क्षेत्र के गांवों में बच्चे सर्वाधिक टीबी की चपेट में आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 12:15 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 12:15 AM (IST)
बच्चों को तेजी से चपेट में ले रहा टीबी
बच्चों को तेजी से चपेट में ले रहा टीबी

देवरिया: उत्तर प्रदेश व बिहार के सीमावर्ती इलाके में टीबी बच्चों को तेजी से चपेट में ले रहा है। टीबी के मरीजों को खोजने का अभियान सक्रिय टीबी रोग खोज अभियान चला। जिसमें टीबी की चपेट में आने वाले बच्चों की तादाद भी है। खानपान पर ध्यान नहीं देने से बच्चों की सेहत खराब हो रही है और वो टीबी की चपेट में आ रहे हैं। कुपोषित बच्चों में टीबी का प्रभाव ज्यादा देखने को मिला है। मरीजों में टीबी से बचाव के लिए अभी भी जागरूकता का अभाव है।

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बनकटा व भाटपाररानी ब्लाक क्षेत्र में सर्वाधिक टीबी मरीज हैं। उत्तर प्रदेश व बिहार सीमा क्षेत्र के गांवों में बच्चे सर्वाधिक टीबी की चपेट में आ रहे हैं। कारण इस क्षेत्र में पिछड़ेपन व जागरूकता का अभाव है। ऐसे में बच्चों के खानपान को लेकर अभिभावक जागरूक नहीं है। इन दोनों ब्लाक क्षेत्र में कुपोषित बच्चों की संख्या भी ज्यादे है। टीबी की मुख्य वजह कुपोषण को ही विभाग मान रहा है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. बीरेन्द्र झा ने बताया कि बच्चों का टीबी से ग्रसित होना दुखद है। इसके लिए अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं है। बच्चे की जांच कराएं। टीबी की पुष्टि जांच में होने के बाद रेगुलर दवा कराए। बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हो जाएगा। बच्चे को हेल्दी डाइट दें।

संक्रमण के कारण प्रभावित रहा अभियान

कोरोना संक्रमण के दौर में टीबी के मरीजों को किसी तरह दवा उपलब्ध कराई जा सकी। रोगियों को खोजने का अभियान नौ माह से अधिक लगभग ठप रहा। स्थित सामान्य होने के बाद भी तीन महीने में खोज के दौरान 152 बच्चे टीबी से ग्रसित पाए गए।

छह माह चलानी होती है दवा

टीबी से ग्रसित बच्चे को छह माह टीबी की दवा खानी पड़ती है। हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि दवा बीच में न छूटे। दवा इलाज सबकुछ मुफ्त है। लापरवाही जानलेवा बन जाती है। इसलिए टीबी के मरीज को दवा लेने में लापरवाही कतई नहीं बरतनी चाहिए।

वर्ष टीबी से ग्रसित बच्चे

2018 142

2019 179

2020 152 अब तक


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