तकनीकी सोच, बारिश की बूंदों से लबालब पोखरा
आर्किटेक्ट कमलेश यादव ने बताया कि बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए गांव के पोखरों की मेड़बंदी को ठीक से करने के साथ मेड़ पर पौधारोपण कर जलीय जीवों को भी पौधों से खुराक दिया जा सकता है।
देवरिया : बिना किसी सरकारी मदद और तकनीकी मदद के युवा चंद्रभान सिंह ने अपनी पुश्तैनी भूमि पर पोखरा खोदवा कर बारिश की बूंदों को सहेजने का बीड़ा उठाया वह अब वह परवान चढ़ रहा है। पानी से लबालब पोखरा जल संरक्षण की मिसाल पेश कर रहा है। आसपास के गांवों के हैंडपंप का पानी भी अभी कभी नहीं सूखता।
गौरीबाजार विकास खंड के ग्राम मदैना के पूर्व प्रधान की भूमि वेलकुंडा में थी। उनके मन में पोखरा बनवाने का विचार एक दशक पूर्व आया। बिना किसी सरकारी इमदाद के पोखरा को खोदवाया। जो जलीय जीव जंतुओं के साथ उमसभरी गर्मी में पशु पक्षियों की प्यास बुझा रहा है। इस पोखरे का रकबा करीब डेढ़ एकड़ में हैं। वर्तमान समय पोखरे में पानी लबालब भरा है। पोखरे में पानी होने से आसपास के घरों के आसपास लगे इंडिया मार्क हैंडपंप पानी भी भरपूर दे रहे हैं । पहले गांव के अलावा आसपास के गांवों में पानी का जलस्तर कम हो जाता था। जिस वर्ष बारिश कम होती थी उस वर्ष हैंडपंप सूख जाते हैं। जबसे पोखरे को खोदा गया तो बारिश का पानी का भी जल संचयन होता है। वह भी बेकार चला जाता था। गांव के आसपास के गांव अवधपुर,कटाई,भृगुसरी में जलस्तर बना हुआ है। पोखरे से पिछले 10 वर्षों से पशु पक्षियों की प्यास बुझ रही हैं। वहीं मछली पालन का कारोबार चल रहा है, जिससे आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत सिद्ध हो रही है हर साल पोखरे का सफाई कराते हैं।
आर्किटेक्ट कमलेश यादव ने बताया कि बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए गांव के पोखरों की मेड़बंदी को ठीक से करने के साथ मेड़ पर पौधारोपण कर जलीय जीवों को भी पौधों से खुराक दिया जा सकता है। इससे जल संरक्षण तो होगा ही पर्यावरण का भी संरक्षण किया जा सकता है। इसके लिए सभी को पहल करनी होगी। पोखरे में पाइप के जरिये खेतों में सिचाई के लिए भी इंतजाम करना चाहिए।