धन की कमी से थमी रेलवे लाइन बिछाने की रफ्तार
गोरखपुर-छपरा रेल खंड पर भटनी रेलवे जंक्शन स्टेशन है। इस स्टेशन से होकर बिहार के साथ ही वाराणसी की तरफ भी ट्रेनें जाती हैं। लिच्छवी एक्सप्रेस समेत कई ऐसी ट्रेनें हैं जो बिहार से आती हैं और उन्हें भटनी रेलवे स्टेशन पर इंजन बदलने के लिए आधा घंटा से अधिक समय तक खड़ा रहना पड़ता है।
देवरिया: भटनी रेलवे जंक्शन के पश्चिम से पिवकोल रेलवे स्टेशन तक लगभग सात किलोमीटर की नई रेलवे लाइन बिछाने के कार्य पर कोरोना का ग्रहण लग गया है। बजट की कमी से काम बंद है।
गोरखपुर-छपरा रेल खंड पर भटनी रेलवे जंक्शन स्टेशन है। इस स्टेशन से होकर बिहार के साथ ही वाराणसी की तरफ भी ट्रेनें जाती हैं। लिच्छवी एक्सप्रेस समेत कई ऐसी ट्रेनें हैं, जो बिहार से आती हैं और उन्हें भटनी रेलवे स्टेशन पर इंजन बदलने के लिए आधा घंटा से अधिक समय तक खड़ा रहना पड़ता है। इससे जहां ट्रेनें विलंब से चलती हैं, वहीं ईंधन भी खर्च होता है।
इस रेलवे लाइन के बिछ जाने से ट्रेनें अपने ठहराव समय तक केवल भटनी रेलवे स्टेशन पर रुकेंगी और फिर भटनी रेलवे स्टेशन को पार कर एकडंगा के समीप से घूमते हुए पिवकोल रेलवे स्टेशन होते हुए वाराणसी की तरफ निकल जाएंगी। जो ट्रेनें भटनी में नहीं रुकती हैं, वह ट्रेनें भटनी रेलवे स्टेशन पर जाने की बजाय सीधे एकडंगा के समीप से पिवकोल रेलवे स्टेशन होते हुए वाराणसी चली जाएंगी। भटनी-वाराणसी रेल खंड पर पड़ने वाले पिवकोल रेलवे स्टेशन पर 1994 तक अधिकतर ट्रेनों का ठहराव होता था। यहां केवल पैसेंजर ट्रेनों के ठहराव की अनुमति है। लेकिन इन दिनों पैसेंजर ट्रेन भी बंद हैं। ऐसे में कोई ट्रेन यहां अब नहीं रुकती है।
इसी को देखते हुए नई रेलवे लाइन का कार्य चार साल से चल रहा है। 2021 मार्च तक इस रेलवे लाइन का कार्य पूरा करने का समय निर्धारित किया गया था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते कार्य ठप हो गया और बजट का भी अभाव हो गया है। लगभग 20 फीसद अभी मिट्टी कार्य भी अधूरा है।
पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी के जनसंपर्क अधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि तीन जगहों पर अंडरपास बनाने का कार्य हो रहा है। जल्द ही इस कार्य को पूरा कर आगे का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।