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सामाजिक समरसता व सद्भाव में कमी ¨चतनीय

दैनिक जागरण की ओर से मंगलवार पाठक पैनल का आयोजन किया गया

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Oct 2018 10:53 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2018 10:53 PM (IST)
सामाजिक समरसता व सद्भाव में कमी ¨चतनीय
सामाजिक समरसता व सद्भाव में कमी ¨चतनीय

देवरिया: दैनिक जागरण की ओर से मंगलवार पाठक पैनल का आयोजन किया गया, जिसमें सत्य अ¨हसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व जय जवान जय किसान का नारा देने वाले पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के विराट व्यक्तित्व पर न केवल चर्चा की गई, बल्कि उनके विचारों को आत्मसात करने पर जोर दिया गया। इस दौरान प्रबुद्धजनों ने समाज में समरसता व सदभाव में आई कमी पर ¨चता जाहिर की गई। दैनिक जागरण के जन सरोकारों की तारीफ करते हुए निष्पक्ष समाचार पत्र बताया।

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दीनानाथ पांडेय राजकीय महिला महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा.दिवाकर प्रसाद तिवारी ने कहा कि आज दो महापुरुषों की जयंती है। बापू का व्यक्तित्व विराट था तो सेवा व कर्म के मामले में शास्त्री जी बहुत आगे थे। इनकी ऊंचाइयों के सामने हम बौने हैं। आज केवल सिद्धांत की बातें होती हैं। व्यवहार में हम दूर चले गए हैं। ऐसा नहीं कि सत्य, अ¨हसा, प्रेम, दया, करुणा की बातें पहले नहीं होती थी, लेकिन बापू ने इन्हें जीया और आम जनमानस को इसके लिए तैयार किया, लेकिन हम इन्हें बरकरार नहीं रख पाए। नैतिक व मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है। सामाजिक सदभाव व समरसता सवाल बनते जा रहे हैं। आज बेईमानी व नैतिकता का पतन पढ़े लिखे लोगों में ज्यादा देखने को मिल रही है। हमारी सोच संकीर्ण हो गई है। दोहरा व्यक्तित्व समाज के लिए घातक है। हमें इन चुनौतियों से निपटने के लिए आगे आना होगा। पूर्व प्रधानाचार्य पौहारी शरण राय ने कहा कि आजादी के बाद सामाजिक उथल-पथल बढ़ा है। हर आदमी समस्याओं का जिक्र कर रहा है, जो रोटी, कपड़ा व मकान तक सीमित नहीं है बल्कि व्यवस्था व समाज को हिलाकर रख दिया है। आज सामाजिक व सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ रहा है। राष्ट्र व समाज के प्रति हमारी सोच संकीर्ण होती जा रही है। जाति, संप्रदाय, धर्म में बंटकर संकुचित हो रहे हैं। समाज बिखराव की ओर है। संवेदनशीलता व सकारात्मक सोच को चोट पहुंच रही है। सैकड़ों सालों से चली आ रही भाईचारे व मदद की भावना संकुचित हो गई है। संवेदनहीनता व नकारात्मक सोच अधिक है। सही बात कहने वाले लोगों पर जाति, धर्म, वर्ग का ठप्पा लगाया जा रहा है। यदि सोच में बदलाव नहीं हुआ तो समाज में बिखराव बढ़ेगा। हमें महापुरुषों के आदर्शों को आचरण में उतारना होगा।

जनता उच्चतर माध्यमिक विद्यालय महुआरी पथरदेवा के विज्ञान शिक्षक आशुतोष दयाल मणि ने कहा कि आज आदर्श व्यक्तित्व की कमी है। युवाओं से समृद्ध इस देश में आज आदर्श व्यक्तित्व नहीं दिख रहा है। कोई बापू या शास्त्री के नजदीक भी नहीं है। यह बहुत ही ¨चता का विषय है।

कलेक्ट्रेट सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता राम नगीना यादव ने कहा कि जाति द्वेष व सांप्रदायिकता को बढ़ने से रोकना होगा। सबसे पहले हम अपने आप को ठीक करें। सेवानिवृत्त डिप्टी पोस्टमास्टर सुग्रीव ¨सह ने कहा कि आज की गंदी राजनीति को साफ करना होगा। गंदगी चाहे विचारधारा में हो या घरों के बगल में। इसकी सफाई जरूरी है। तभी देश व राष्ट्र को मजबूत बनाने में सफल होंगे।

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