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92 वर्षों से अनवरत जारी है बरांव की रामलीला

मदनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बरांव में आयोजित राम लीला का 92 वर्ष पुराना इतिहास है। नवयुवक नाट्य समिति द्वारा हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। वर्ष 1926 में पूर्वोत्तर रेलवे में सोनपुर स्टेशन कंट्रोलर रहे स्व. विष्णु दत्त पांडेय ने स्व.शिव गणेश पांडेय, शिव पूजन पांडेय, श्रीदत्त पांडेय, रामगो¨वद यादव आदि ग्रामीणों के सहयोग से शुरुआत कराई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Oct 2018 10:58 PM (IST)Updated: Tue, 16 Oct 2018 10:58 PM (IST)
92 वर्षों से अनवरत जारी है बरांव की रामलीला
92 वर्षों से अनवरत जारी है बरांव की रामलीला

देवरिया : मदनपुर थाना क्षेत्र के ग्राम बरांव में आयोजित राम लीला का 92 वर्ष पुराना इतिहास है। नवयुवक नाट्य समिति द्वारा हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। वर्ष 1926 में पूर्वोत्तर रेलवे में सोनपुर स्टेशन कंट्रोलर रहे स्व. विष्णु दत्त पांडेय ने स्व.शिव गणेश पांडेय, शिव पूजन पांडेय, श्रीदत्त पांडेय, रामगो¨वद यादव आदि ग्रामीणों के सहयोग से शुरुआत कराई। रामचरित मानस, राधेश्याम रामायण, द्विज देव व केशव दास द्वारा रचित छंद, सवैये के संवाद से इसी गांव के ग्रामीण कलाकारों ने रामलीला का मंचन शुरू किया। जो आज भी अपने मूर्त रूप में ही स्थापित है। पहले संसाधनों के अभाव की वजह से दिन में ही इसका आयोजन होता था। आजादी के वर्ष से रात में इसका मंचन शुरू किया गया। रावण वध का मंचन दिन के उजाले में हनुमान विद्या मंदिर इंटर कालेज के खेल मैदान में किया जाता है।

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इस वर्ष का आकर्षण

रामलीला अपने पुरातन इतिहास व उत्कृष्ट मंचन के लिए क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है। जिसे देखने दूर दराज से दर्शक आते हैं। ¨हदू-मुस्लिम समाज के आपसी भाई-चारे की अनूठी मिसाल यहां देखने को मिलती है। साथ ही बाल कलाकारों का संवाद अति प्रशंसनीय रहता है। पंडाल व लाइ¨टग का विशेष आकर्षण है। दर्शकों के बैठने के लिए उत्तम प्रबंध रहता है।

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क्षेत्रीय आम जन के सहयोग की बदौलत ही इसका वजूद कायम है। युवा वर्ग का विशेष सहयोग रहता है। राम, लक्ष्मण व सीता जी द्वारा भोग लगाने के आस्था की परंपरा आज भी कायम है। सुरक्षा व्यवस्था का व्यापक प्रबंध रहता है।

-मैनेजर पांडेय, संचालक

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यह जनपद की पुरानी रामलीलाओं में से एक है। दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बाल कलाकारों के संवाद विशेष महत्व रखते है। मंच व पर्दे यहां के आकर्षक पहलू है। गांव के लोगों की आस्था का केंद्र होने की वजह से भी भीड़ अधिक जुटती है।

-प्रदीप कुमार पांडेय, सदस्य रामलीला समिति

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समय के साथ आयोजन का खर्च बढ़ रहा है। जनता के सहयोग से आयोजन के खर्च का इंतजाम किया जाता है। अच्छे कलाकारों को कीमत अधिक देनी पड़ती है। गांव के लोग रामलीला के सफल आयोजन के लिए सदैव प्रयासरत रहते हैं।

-सतीश चंद्र पांडेय,सदस्य रामलीला समिति

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दस दिनों तक आयोजित होने वाली राम लीला गंगा-यमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल है। सबसे बड़ी बात की राम लीला के सभी पत्रों का शुभारंभ से समापन तक प्रत्येक दिन सुबह-शाम भंडारे के लिए गांव के लोग तत्पर रहते हैं।

-निशेष पांडेय, सदस्य, रामलीला समिति

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