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भगवान की भक्ति धारा ही राधा: स्वामी रामभद्राचार्य

जिगिना मिश्र गांव में श्रीमद भागवत कथा के पांचवें दिन जनसमूह को किया संबोधित

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 11:08 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 06:09 AM (IST)
भगवान की भक्ति धारा ही राधा: स्वामी रामभद्राचार्य
भगवान की भक्ति धारा ही राधा: स्वामी रामभद्राचार्य

देवरिया: स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि राधारानी को भागवत में रमा कहा गया है। भगवान की भक्ति धारा ही राधा हैं। वह शुक्रवार को जय मां दुर्गा सेवा न्यास जिगिना मिश्र की तरफ आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पांचवें दिन जन समूह को संबोधित कर रहे थे।

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श्रीकृष्ण का बाल वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि छठिहार में यशोदा के घर गीत होने लगा। मोहन छठी आई रे रसिया आई रे रसिया, मन भाई रे सखियां.. गीत हो रहा था। तभी कंस के आदेश पर पूतना भगवान को दूध पिलाने का अवसर तलाशने लगी। विधवा होने के बाद भी भगवान को मारने आ गई। भीड़ को चीरते हुए भगवान के पास आ गई। भगवान को गोद में लिया तो पूतना को पहचान गए। भगवान ने आंख बंद कर लिया। कारण यह था कि निर्मलमन वाला व्यक्ति ही भगवान को पा सकता है। कपटी व्यक्ति भगवान को कभी नहीं पा सकता। वह गुरु और गोविद दोनों को नहीं पा सकता। उन्होंने कहा कि मथुरा में देवकी व वसुदेव के घर और गोकुल में नंद व यशोदा के घर भगवान का अवतार हुआ था। योग माया तो भगवान की छोटी बहन हैं। देवगण एक ही बात करते हैं कि नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की..। भगवान ने कहा कि ऐसी कुटिल महिला को देखना ही नहीं चाहिए। शंकर का स्मरण कर कहा कि आप विष पी लीजिए और मैं दूध पी लेता हूं। भगवान ने सोचा कि अगर मेरा भोग कोई और ग्रहण करेगा तो संसार ही नष्ट हो जाएगा। पूतना को देव लोक दे दिया। उत्तराधिकारी रामचंद्र दास (जय मिश्र) ने पूजन कराया। इससे पूर्व न्यास अध्यक्ष गौतम मिश्र, एसीजीएम एनके सिंह, शिवेंद्र मिश्र, परमात्मा दास, डा.राजनाथ त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।


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