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अभियान..प्रयोगशाला की हकीकत देखने की अफसरों के पास फुर्सत नहीं

इंटर कालेजों में प्रयोगशाला को बेहतर करने की दिशा में जिम्मेदारों की उदासीनता देखी जा रही है। विद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई रुचि नहीं ली जा रही है, तभी तो अधिकतर प्रयोगशाला सुसज्जित नहीं दिख रहे हैं। इसकी निगरानी करने वाला अमला भी बेफिक्र नजर आता है। अधिकारियों को भी फुर्सत नहीं मिलती कि कभी जाकर प्रयोगशाला की हकीकत देखें

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 10:38 PM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 10:38 PM (IST)
अभियान..प्रयोगशाला की हकीकत देखने की अफसरों के पास फुर्सत नहीं
अभियान..प्रयोगशाला की हकीकत देखने की अफसरों के पास फुर्सत नहीं

देवरिया : इंटर कालेजों में प्रयोगशाला को बेहतर करने की दिशा में जिम्मेदारों की उदासीनता देखी जा रही है। विद्यालय प्रशासन की तरफ से कोई रुचि नहीं ली जा रही है, तभी तो अधिकतर प्रयोगशाला सुसज्जित नहीं दिख रहे हैं। इसकी निगरानी करने वाला अमला भी बेफिक्र नजर आता है। अधिकारियों को भी फुर्सत नहीं मिलती कि कभी जाकर प्रयोगशाला की हकीकत देखें।

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बात शुरू करते हैं मान्यता से। यह जगजाहिर है कि विज्ञान विषयों में मान्यता अफसरों व बाबुओं की मेहरबानी से आसानी से मिल जाता है। अधिकतर इंटर कालेजों में कागजों में सभी मानक पूरे किए गए हैं। इन विद्यालयों में प्रयोग सामग्री का भी इंतजाम नहीं है। प्रयोगात्मक कार्य के नाम पर महज खानापूरी की जाती है। यूपी बोर्ड परीक्षा के दिनों में ही प्रयोगशाला के ताले खुलते हैं। इनकी हकीकत जानने की जहमत माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी नहीं उठाते। पूरे साल अधिकारी झांकने नहीं जाते। तभी तो अधिकतर विद्यालयों में मानकविहीन प्रयोगशाला देखने को मिल रहा है। जिन जगहों पर मानक के अनुसार प्रयोगशाला है, वहां भी शिक्षकों की उदासीनता बनी हुई है। राजकीय इंटर कालेज एक दशक पुराना कालेज है। इसमें भौतिकी, रसायन व जीव विज्ञान की पढ़ाई के लिए प्रयोगशाला सुजज्जित है। रसायन व जीव विज्ञान विषय में प्रयोग के लिए शिक्षकों की उदासीनता बनी हुई है। जीआइसी में अक्सर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर जिलाधिकारी तक आते रहते हैं। ऐसे में पूरे वर्ष में एक बार जिला विद्यालय निरीक्षक प्रयोगशाला को देखने पहुंचे, लेकिन यह एक अपवाद है। चूंकि कार्यक्रमों के आयोजन के कारण अफसरों का आना-जाना रहता है। इसलिए वह हकीकत जानने आ गए। अफसरों के पास प्रयोगशाला देखने का फुर्सत नहीं है। जबकि विज्ञान विषय की मान्यता तमाम विद्यालयों को मिली है। विज्ञान की पढ़ाई को लेकर अफसर जागरूक नहीं है। यदि अफसरों की तरफ से समय-समय पर प्रयोगात्मक कार्य के संबंध में निगरानी की जाती तो छात्रों के भीतर विज्ञान के प्रति अभिरुचि पैदा होती।

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जीआइसी में रसायन विज्ञान का प्रयोगशाला मानक के अनुरुप है। एक साथ 54 छात्रों के बैठकर प्रयोग करने की सुविधा है, लेकिन असुविधा से बचने के लिए हम लोग 30 से 34 छात्रों को एक साथ प्रयोग के लिए ले जाते हैं। यदि शिक्षा विभाग के अधिकारी प्रयोगशाला की जांच करें तो काफी सुधार की गुंजाइश बनी रहती है।

-राजेश मणि, शिक्षक, रसायन विज्ञान, जीआइसी

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जिन लोगों ने मानक के अनुरुप प्रयोगशाला दिखाकर विज्ञान की मान्यता ली है। उन प्रयोगशालाओं की पुन: जांच की जाएगी। यदि जांच में प्रयोगशाला मानक के अनुरुप नहीं मिलता है तो मान्यता प्रत्यहरण की जाएगी।

-डा.राम हुजूर, सह जिला विद्यालय निरीक्षक

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