बरहज कांड..मेरे लाल के हत्यारों को मिले फांसी की सजा
अपने व्यवहार के चलते सुमित हर किसी के दिलों पर राज करते थे जब पोस्टमार्टम के बाद शव दरवाजे पर आने की सूचना मिली तो दरवाजे पर हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। अपने चहेते का अंतिम बार चेहरा देखने के लिए हर कोई परेशान दिखा।
देवरिया : अपने व्यवहार के चलते सुमित हर किसी के दिलों पर राज करते थे, जब पोस्टमार्टम के बाद शव दरवाजे पर आने की सूचना मिली तो दरवाजे पर हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े। अपने चहेते का अंतिम बार चेहरा देखने के लिए हर कोई परेशान दिखा। जिसने भी चेहरा देखा, वह अपने आंखों के आंसू नहीं रोक पाए। भाई का शव दरवाजे पर आते ही इकलौती बहन खुशबू दरवाजे पर दौड़ कर आई और भाई के शव से लिपट कर रोने लगी। उसके दहाड़ को देख लोगों का कलेजा मानो फटा जा रहा था। वह रोते-रोते बेहोश हो जाती, जब शव लोग अंतिम संस्कार के लिए ले जाने लगे तो खुशबू शव से लिपट कर रोने लगी और शव ले जाने से मना करने लगी। किसी तरह लोगों ने उसे वहां से हटाया।
मन्नू लाल को दो बेटे सुमित व सचिन व इकलौती बेटी खुशबू थी। सुमित किराना की दुकान चलाते थे। छोटे भाई सचिन की दस दिन पहले ही शादी तय हुई थी। घर में हर तरफ खुशियां थी, लेकिन छोटी सी बात को लेकर सुमित की हत्या कर दी गई। मां संजू देवी बेटे की हत्या के बाद दहाड़ मारकर रोने लगी। रोते-रोते बेहोश हो जाती। संजू रो-रोकर कह रही थी कि मेरे बेटे की जिसने भी हत्या की है, उन्हें फांसी की सजा होनी चाहिए। तभी मेरे बेटे को न्याय मिलेगा। यही बात वह पुलिस अधिकारियों से भी कहती रही। पत्नी का भी रोते-रोते बुरा हाल हो गया था। छोटा भाई सचिन भी बड़े भाई का शव देख दहाड़ मारकर रोने लगा। सरयू नदी के तट पर देर शाम अंतिम संस्कार कर दिया गया। जवान बेटे को मुखाग्नि देते समय मन्नू लाल के आंखों में आंसू भर आए और वह वहीं बैठ गए। यह देख वहां मौजूद लोगों ने ढाढस बंधाया।