तीन तलाक के नए कानून से खुश हैं मुस्लिम महिलाएं
- जिले में तीन तलाक की घट गई संख्या -मुस्लिम महिलाएं अब चौखट लांघ पहुंच रहीं न्यायालय -नए नियम से जिले में मिल चुका है एक महिला को न्याय
देवरिया : कुप्रथा के नाम पर मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले अन्याय पर तीन तलाक के नए कानून ने लगाम लगा दिया है। जिले में एक साल में सिर्फ एक केस दर्ज किया गया है। तीन तलाक कानून लागू होने के बाद मामलों में कमी आई है। उधर तीन तलाक कानून लागू होने की बरसी पर ज्यादातर मुस्लिम महिलाएं खुश है।
जिले में एक साल पहले हुई एक घटना में महिला को न्याय मिल गया। कुप्रथा के नाम पर हैवानियत करने वाले को पुलिस ने जेल भेज दिया। तीन तलाक देने वाले की तलाश पुलिस कर रही है। पहले मोबाइल पर भी देते थे तीन तलाक
इस कुप्रथा के खिलाफ ऐसे ही महिलाओं का आवाज बुलंद नहीं हुआ। ऐसी प्रथा बनाई गई कि जब महिलाएं पसंद नहीं आई या कोई बात हुई तो उनका पति पास से या मोबाइल पर भी उन्हें तीन बार तलाक बोल देता और दोनों के रिश्ते खत्म मान लिया जाता। लार थाना क्षेत्र के मेहरौना में 2018 में एक युवक ने सऊदी से ही अपनी पत्नी को तलाक दे दिया था। इसने भी लार थाने सौहर समेत अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। तीन तलाक कानून लागू कर सरकार ने देश में मुस्लिम महिलाओं को नया जीवन देने का काम किया है। 80 महिलाओं का आत्मबल बढ़ा है। मेरा मानना है कि इस कानून के लागू होने के बाद तलाक के मामलों में काफी कमी आई है। तीन तलाक कानून के लागू होने के पहली वर्षगांठ पर हम सभी खुश हैं। खासकर पीएम मोदी बधाई के पात्र हैं।
शाहिस्ता परवीन
सामाजिक कार्यकर्ता
-- तीन तलाक कानून लागू होने के बाद मुस्लिम महिलाओं की दशा बदली है। एक साल के भीतर तलाक के मामले जो सुनने को मिलते थे, अब नहीं मिलते हैं। यह कानून की वजह से है।
शबनम
गृहणी महिलाओं को आजादी मिलना चाहिए। सभी को समान हक है। तलाक से तमाम महिलाओं का जीवन बर्बाद हो गया। इस कानून के आने से महिलाओं की सुरक्षा को बल मिला है।
अफशाना
गृहणी
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तीन तलाक कानून लागू होने के बाद महिलाओं की दशा-दिशा बदली है। कानून लागू होने से महिलाओं का सम्मान बढ़ा है। हम सभी इस कानून की बरसी पर खुश हैं।
सरीफुन
गृहणी