सौहार्द का संदेश देता है मोहर्रम
इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का मोहर्रम एक विश्वसा है
निखिलेश त्रिपाठी गोल्डी, पथरदेवा,देवरिया: इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का मोहर्रम एक प्रमुख त्योहार है। इस माह का कई महत्व और विशेषताएं हैं। इस्लामी यानी हिजरी वर्ष का पहला माह मोहर्रम है। हिजरी वर्ष की शुरुआत इसी माह से होती है। इस्लाम धर्म को मानने वाले साल भर अनेक त्योहार मनाते हैं। इसमें मोहर्रम का एक विशेष स्थान है।
नेरुआरी निवासी मो. मेराज अहमद ने कहा की यह त्योहार मूलत: हमें शान्ति और सौहार्द के साथ समाज में आपसी भाईचारा व एकता बनाने की शिक्षा देता है, साथ ही यह दर्शाता है कि हमें समाज में अच्छाई को बनाए रखने के लिए प्राणों की भी परवाह नहीं करनी चाहिए। मोहम्मद फखरुद्दीन ने कहा की सन् 680 में इसी माह में कर्बला नामक स्थान में एक धर्म युद्ध हुआ था, जो पैगंबर हजरत मुहम्मद के नवासे तथा अधर्मी यजीद के बीच हुआ। इस धर्म युद्ध में वास्तविक जीत ह•ारत इमाम हुसैन की हुई। पर जाहिरी तौर पर यजीद ने ह•ारत इमाम हुसैन और उनके सभी 72 साथियों को शहीद कर दिया था, जिसमें उनके छ: महीने की उम्र के पुत्र ह•ारत अली असग़र भी शामिल थे और तभी से तमाम दुनिया के ना सिफऱ् मुसलमान बल्कि दूसरी क़ौमों के लोग भी इस महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का गम मनाकर उनको याद करते हैं।
मेहाहरहंगपुर के सरफराज खान ने कहा की इस महीने को इस्लाम धर्म के चार पवित्र महीनों में शामिल किया जाता है। खुदा के दूत हजरत मुहम्मद ने इस माह को अल्लाह का महीना कहा है। इस माह मनाया जाने वाला मोहर्रम का त्योहार माह के पहले दिन से शुरू होकर दसवें दिन तक चलता है। बंजरिया पोखर¨भडा निवासी शद्दाम शेख ने कहा की इस महीने में रोजा रखने की खास अहमियत है। रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो अल्लाह के महीने यानी मोहर्रम में रखे जाते हैं। मोहर्रम की 9 तारीख को की जाने वाली इबादतों का भी बड़ा महत्व बताया गया है तथा मुहर्रम के एक रोजे का शबाब 30 रोजों के बराबर मिलता है।