झांकी देख भाव विभोर हुए श्रद्धालु
रासलीला पुरुष और नारी का नहीं पूर्ण पुरुषोत्तम और शुद्ध जीव का मिलन है। रासलीला भागवत का फल है। जो इंद्रियों से भक्ति रस का पान कराता है और अपना अस्तित्व या पुरुषत्व भुला दे वही गोपी है।
देवरिया : रासलीला पुरुष और नारी का नहीं पूर्ण पुरुषोत्तम और शुद्ध जीव का मिलन है। रासलीला भागवत का फल है। जो इंद्रियों से भक्ति रस का पान कराता है और अपना अस्तित्व या पुरुषत्व भुला दे वही गोपी है। इस सर्वोच्च गोपी भाव में तो अपना देह, अपना नारीत्व या पुरुषत्व का विस्मरण करना है। यदि देह शेष होगा तो काम नष्ट नहीं होगा। परमात्मा का इस प्रकार स्मरण करो कि अपना देह ही न रहे।
यह बातें शिवाला वार्ड में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कराते हुए पंडित श्रीप्रकाश मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि शुद्ध जीव का ब्रह्म से विलास ही रास है। महारास में जितनी गोपियां गई थीं सभी पूर्व जन्मों में संत थीं। वासना का क्षय होने पर जीवन सुधरता है। पुतना रूपी वासना और तृणवर्त रूपी रजोगुण का नाश होने पर जीवन सात्विक होगा। भगवान की वंशी नाद को सुनकर सारा चर-अचर सम्मोहित होकर उनकी तरफ उन्मुख होता है, जो एक बार ईश्वर से मिल जाता है, उसकी मुक्ति निश्चित हो जाती है।
इस अवसर पर प्रभावती देवी, स्वामी कार्तिकेय त्रिपाठी, इंद्रसेन त्रिपाठी अनिल त्रिपाठी, पूर्व नपं अध्यक्ष डा. रामभरोसा त्रिपाठी, सुभाष मद्धेशिया, नवरत्न लाल श्रीवास्तव, दीनानाथ वर्मा, मोहन उपाध्याय, राजन ¨सह, संजय उपाध्याय, विनोद शुक्ला आदि मौजूद रहे।