सावन की घटाओं की तरह तुझसे मिलूंगी..
देवरिया खुखुंदू में आयोजित कवि सम्मेलन में काव्य की रस धारा में रात भर लोग गोता लगाते रहे।
देवरिया: शिवाजी इंटर कालेज के प्रांगण में मंगलवार की रात अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के विभिन्न प्रांतों से आए कवियों ने हिस्सा लिया।
कवि सम्मेलन का औपचारिक उद्घाटन वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजय शर्मा व प्रधानाचार्य आलोक राय ने किया। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व.विश्वनाथ राय के चित्र पर माल्यार्पण किया। सोनभद्र से आई विभा सिंह ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। उसके बाद सावन की घटाओं की तरह तुझसे मिलूंगी, मैं तो परदेशिया पर प्यार लुटाऊंगी.. सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। इसके बाद डा.कलीम कैसर मेरी नैहर के कांच की चुड़ी से तेरे ससुराल का सोने का कंगन हार जायेगा..सुनाया तो तालियों से पंडाल गूंज उठा। भूषण त्यागी ने वीर रस की कविता हमें कश्मीर नहीं पूरा पाकिस्तान चाहिए..सुनाकर वाहवाही लूटी। मऊ से आए पंकज प्रखर ने पाकिस्तान की छाती पर अब तिरंगा लहाराएंगे सुनाया। नागेश शाडिल्य वाराणसी ने- हो सके तो फिर मेरा बचपन लौटा देना..प्रस्तुत किया। फारूख सरल के गीत हम के जो बलम सतैहे, तो जेल में चक्की पिसवैहे..सुनाया। भालचंद त्रिपाठी ने आइने से मुंह छिपाना ठीक है क्या, आपका मुस्कुराना ठीक है क्या..प्रस्तुत किया। सत्येंद्र पांडेय सतना ने- हम भिखारियों पर नाज करने लगे हैं, देश के शहीदों को जाति में बांटने लगे हैं..सुनाया। बादशाह प्रेमी कुशीनगर ने- सुना है इश्क में गदहे भी सूखी घास खाते हैं.,शंकर कैमूरी दरभंगा ने- जब तक रही गंगा जमुना में नीर, तबतक ना ही देईब कश्मीर..सुनाया। ब्रजेद्र चकोर, एस चनपुरिया मध्यप्रदेश प्रदेश, मनमोहन मिश्र सोनभद्र ने गीत व गजल सुनाकर समां बांधा।
आलोक राय, दिलीप राय, नीरज श्रीवास्तव, सुधीर श्रीवास्तव, दिनेश गुप्ता, चंद्रमोहन राय, जटाशंकर दुबे, राजमंगल सिंह, भरत मद्धेशिया मौजूद रहे।