यूपी-बिहार के सीमावर्ती गांवों में बढ़ रहे कालाजार के मरीज
कुछ गांवों में निरोधात्मक कार्रवाई के बाद मरीजों की संख्या घटी है लेकिन अन्य ब्लाकों में जांच के दौरान कालाजार के मरीज बढ़ रहे हैं। आखिर कालाजार का उन्मूलन कैसे होगा। इसे लेकर विभाग के माथे पर चिता की लकीरें हैं।
देवरिया: कालाजार उन्मूलन को लेकर महकमा पूरी तरह से मुश्तैद है। इसके बावजूद बिहार सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के गांवों में सर्वाधिक कालाजार के मरीज मिल रहे हैं।
कुछ गांवों में निरोधात्मक कार्रवाई के बाद मरीजों की संख्या घटी है लेकिन अन्य ब्लाकों में जांच के दौरान कालाजार के मरीज बढ़ रहे हैं। आखिर कालाजार का उन्मूलन कैसे होगा। इसे लेकर विभाग के माथे पर चिता की लकीरें हैं।
कालाजार के मरीजों का आंकड़ा
वर्ष मरीजों की संख्या 2017 29 2018 44 2019 39 2020 31
बनकटा ब्लाक में कम हुए तो चार ब्लाकों में मिले नए मरीज
बनकटा ब्लाक में सर्वाधिक मरीज मिलते हैं। जिले के मरीजों की कुल संख्या के 80 फीसद मरीज बनकटा ब्लाक के गांवों में मिलते हैं। निरोधात्मक कार्य से यहां तो मरीजों की संख्या घट गई, लेकिन चार नए ब्लाक पथरदेवा, लार, बैतालपुर, देसही देवरिया के गांवों में कालाजार के नए मरीज मिले। जांच व इलाज का बढ़ाया दायरा
पहले कालाजार की जांच सिर्फ जांच सामान्य तौर पर सीएचसी, पीएचसी पर होती थी लेकिन अब आशा कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कर्मी भी आरके 39 किट से जांच करते हैं। मरीज पाजिटिव आने के बाद उसे जिला अस्पताल इलाज के लिए एंबुलेंस से भेजा जाता है। ये है कालाजार का लक्षण कालाजार बालू मक्खी के काटने होता है। यह नमी वाले स्थान में मिट्टी के घरों में दीवाल की दरारों में रहती हैं। इनके काटने के बाद मरीज संक्रमित हो जाता है। मरीज को रुक-रुक कर 14 दिन से छह माह तक बुखार आता है। मरीज को भूख नहीं लगता है पेट बाहर निकल जाता है, वजन कम हो जाता है, शरीर काला पड़ जाता है।
सीएमओ डा. आलोक पांडेय ने कहा कि कालाजार उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम मुश्तैदी के साथ कार्य कर रही है। हमें पूरा भरोसा है कि कालाजार का जिले से उन्मूलन हम लोग समय भीतर कर लेंगे। अधिक से अधिक जांच की जा रही है। जिससे छिपे हुए मरीज सामने आ जाए। उनका इलाज कर इसका खात्मा किया जा सके।