पाक्षिक प्लान..यह सरकारी अस्पताल, नर्सिंग होम को देता मात
एक ऐसा भी सरकारी अस्पताल है जो नर्सिंग होम को मात दे रहा है। अस्पताल के अंदर प्रवेश करने के बाद आपको विश्वास नहीं होगा कि आप ग्रामीण क्षेत्र के किसी सरकारी अस्पताल में दाखिल हुए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार का। यह अस्पताल पूरी तरह से सभी मानकों पर खरा है
देवरिया : एक ऐसा भी सरकारी अस्पताल है जो नर्सिंग होम को मात दे रहा है। अस्पताल के अंदर प्रवेश करने के बाद आपको विश्वास नहीं होगा कि आप ग्रामीण क्षेत्र के किसी सरकारी अस्पताल में दाखिल हुए हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार का। यह अस्पताल पूरी तरह से सभी मानकों पर खरा है। यह संभव हो सका है प्रभारी चिकित्साधिकारी के ²ढ़ निश्चय व संकल्प से। जनपद में यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अन्य स्वास्थ्य केंद्रों के लिए नजीर है।
यहां प्रभारी चिकित्साधिकारी बीबी ¨सह के ²ढ़ निश्चय व हौसले से पूरे अस्पताल की सूरत बदल गई है। पूरा परिसर सोलर सिस्टम से लैस है। रात में अस्पताल दुधिया रोशनी से जगमग रहता है। इंटरकाम सिस्टम लगा है, जिससे एक साथ किसी भी घटना, दुर्घटना या आवश्यक कार्य के समय प्रभारी चिकित्साधिकारी सभी कर्मचारियों को सूचना देते हैं और यह सूचना एक साथ सभी कमरों में प्रसारित हो जाती है। जैसे किसी कर्मचारी को अपने कमरे में बुलाना है तो उसके पास नहीं जाना पड़ा। इमरजेंसी के समय इस सुविधा का सर्वाधिक लाभ मिलता है। ईटीसी केंद्र में फर्श पर टाइल्स लगा है तो कमरा एसी युक्त है। फूल-पत्तियां व गार्डेंन यहां के माहौल को और भव्यता प्रदान कर रहे हैं। यही नहीं सभी चिकित्सक प्रतिदिन ड्रेस कोड में नेम प्लेट के साथ समय से ड्यूटी करते हैं। शानदार चमचमाती अस्पताल की दीवारों के बीच चार वर्षों से यह अस्पताल नजीर बना हुआ है। जनपद में जब भी किसी प्रदेश स्तरीय अधिकारी का दौरा होता है, जिला मुख्यालय से अधिकारी उन्हें लेकर यहां जरूर आते हैं। बेहतर कार्य के लिए डा.¨सह कई बार सम्मानित हो चुके हैं।
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बेहतर करने का संकल्प, अस्पताल का कर दिया कायाकल्प
प्रभारी चिकित्साधिकारी डा.बीबी ¨सह का कहना है कि शुरू से ही मेरे मन में था कि सरकार की मंशा और स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को मिलना चाहिए। सरकार की मंशा के अनुरूप हमने कार्य किया और जो भी सरकारी धन मिला उसका संपूर्ण सदुपयोग करते हुए अस्पताल में खर्च किया। इस अस्पताल में किसी भी बाहरी व्यक्ति या किसी अन्य का सहयोग लेकर कार्य नहीं कराया गया है। सीएचसी को ढाई लाख रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं, उसे खर्च कर अस्पताल की सूरत बदली गई है।
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अन्य अस्पतालों के लिए है प्रेरणास्त्रोत
सवाल यह है कि जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार में ऐसी चकाचक व्यवस्था हो सकती है तो अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में क्यों नहीं। कहीं न कहीं हमारे संकल्प शक्ति में कमी है और हम योजनाओं के लिए मिलने वाले धन को खर्च न कर उसके बंदरबांट में लगे हैं। अगर मिलने वाला धन अस्पतालों में खर्च हो तो प्रत्येक अस्पताल की सूरत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार जैसे हो जाएगी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लार में चौबीस घंटे स्वास्थ्य सेवाएं मिलती हैं। सब कुछ यहां मानक के अनुरूप है। अस्पताल परिसर में आने के बाद यहां का स्वच्छ वातावरण लोगों का ध्यान आकर्षित करता है।
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