पानी में डूब गई किसानों की उम्मीद
घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से उन किसानों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है जिन्होंने बेहतर भविष्य की उम्मीद में रेता क्षेत्र में फल व सब्जी की खेती की थी। पानी से लगभग एक सौ एकड़ ककड़ी खीरा तरबूज और सब्जी की फसलें जलमग्न हो गई हैं जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। किसानों की चिता अब कर्ज भरने की है।
देवरिया : घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से उन किसानों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया है, जिन्होंने बेहतर भविष्य की उम्मीद में रेता क्षेत्र में फल व सब्जी की खेती की थी। पानी से लगभग एक सौ एकड़ ककड़ी, खीरा, तरबूज और सब्जी की फसलें जलमग्न हो गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। किसानों की चिता अब कर्ज भरने की है।
बरहज, तिवारीपुर, गौरा, कटइलवा, जयनगर, पैना आदि गांवों के किसानों ने आर्थिक आत्मनिर्भरता की आस में महाजन से कर्ज लेकर रेता क्षेत्र में तरबूज, खीरा, ककड़ी, लौकी, तरोई की फसलें लगाई थीं, लेकिन सारी उम्मीदें एक ही झटके में टूट गईं। सरयू नदी का कहर किसानों पर टूट रहा है। पीड़ित किसान प्रमोद राजभर, राजदेव राजभर, ओमप्रकाश निषाद, मोतीचंद, बृजेश राजभर, वीरेंद्र, इंद्रजीत, सुकई, किरन देवी, सुभाष, शिवचंद आदि का कहना है कि महाजन से कर्ज लिया और 2500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से हुंडा पर खेत लेकर फसल लगाई थी। अभी आधा सीजन बीता कि सरयू मईया ने फसलों को लील लिया। चार महीने की मेहनत और लगी पूंजी पानी में डूब गई है। आधी लागत भी नहीं निकल पाई है मुनाफा तो दूर की बात है।
इस संबंध में उपजिलाधिकारी विनीत कुमार सिंह ने बताया कि राजस्व कर्मियों को भेजकर नुकसान का आंकलन करने के बाद नियमानुसार मदद की जाएगी।