ऐतिहासिक है इंदूपुर की रामलीला
प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि को श्री श्री 1008 पौहारी जी महाराज के इंदूपुर आगमन से ही रामलीला प्रारंभ होती है। वैष्णव परंपरा के तहत इस रामलीला का मंचन संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा किया जाता है। सन1978 से में मेला के साथ इस रामलीला का प्रारंभ हुआ था। चौरी चौथा कांड के बाद जनपद में धारा 144 लागू हुआ
देवरिया : प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि को श्री श्री 1008 पौहारी जी महाराज के इंदूपुर आगमन से ही रामलीला प्रारंभ होती है। वैष्णव परंपरा के तहत इस रामलीला का मंचन संस्कृत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा किया जाता है। सन1978 से में मेला के साथ इस रामलीला का प्रारंभ हुआ था। चौरी चौथा कांड के बाद जनपद में धारा 144 लागू हुआ। बावजूद इसके रामलीला एवं मेला का आयोजन हुआ। महात्मा गांधी एवं नानाजी देशमुख भी इस स्थल पर आ चुके हैं। रामलीला का प्रमुख आकर्षण चतुर्दशी के दिन रावण वध के साथ दहन होता है। हाथी घोड़ा के साथ पौहारी महाराज की कुटी से राम लक्षमण निकलते हैं। इस दिन यहां भारी भीड़ होती है। एक पखवारा तक रामलीला का मंचन होता है। छ: गांवा रामलीला समिति की देखरेख में रामलीला का आयोजन होता है।
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इस वर्ष रावण दहन आकर्षण का केंद्र
चतुर्दशी के दिन रावण का दहन होता है। हाथी घोड़ा पर सवार राम लक्ष्मण के साथ सेना का आगमन आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहेगा। पंचदशी के दिन माता सीता की अग्निपरीक्षा का मनचंदा किया जाता है, जिसमें क्षेत्र की महिलाओं की भारी भीड़ होती है।
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रामलीला का शानदार मंचन एवं इसकी भव्यता बनाए रखना हम सभी का उद्देश्य होगा। साथ ही मेले में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्यकर्ता तैनात किए जाते हैं। दूर-दूर से लोग इस परंपरागत आयोजन में शामिल होते हैं।
-मंजेश ¨सह अध्यक्ष, मेला समिति, इंदूपुर
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रामलीला का आयोजन राजतंत्रीय शासन व्यवस्था के समय से ही चला आ रहा है। एक पखवारे तक भगवान श्रीराम के जीवन वृत के माध्यम से लोगों को मानवता का संदेश भी मिलता है।
-सुरेंद्र नाथ ¨सह
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वैष्णव परंपरा के संत पौहारी जी महाराज के देखरेख में रामलीला का मंचन अनोखा है। गुरु शिष्य परंपरा के निर्वहन का वर्षों से चला आ रहा यह कार्यक्रम बेमिसाल है। पूरे क्षेत्र में इन दिनों चहल-पहल से लोग अभिभूत रहते हैं।
-मनोज कुमार ¨सह
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छ:गांवा सहित क्षेत्र के लिए इस आयोजन को लेकर लोग उत्साहित रहते हैं। बदलते परिवेश में भी लोगों के लिए यह परंपरागत रामलीला आकर्षण बना हुआ है। प्रत्येक वर्ष यह आयोजन पूर्वजों की याद को ताजा कर देता है।
-अंकुर कुमार ¨सह
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