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देवरिया सीमा में हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना निरस्त

देवरिया जिले में इसकी लंबाई 12.45 किमी. व कुल रकबा 41.902 हेक्टेयर अधिग्रहण किया जाना था। इस परियोजना के व्यवहार्यता को लेकर एक खेमे के किसान शुरू से ही आंदोलनरत थे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Dec 2020 12:36 AM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2020 12:36 AM (IST)
देवरिया सीमा में हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना निरस्त
देवरिया सीमा में हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना निरस्त

देवरिया : शासन ने हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना को जनता के लिए अनुपयोगी होने व धन की कमी होने के कारण निरस्त कर दिया। यूपी के भीतर देवरिया जिले की सीमा में रेलवे लाइन नहीं बिछाई जाएगी। मुआवजे के लिए जिला प्रशासन को उपलब्ध कराए गए 9.24 करोड़ में 10 फीसद भूमि अर्जन व्यय की कटौती कर रेलवे को लौटाने की प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही रकम वापस कर दी जाएगी।

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हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना लंबाई करीब 80 किलोमीटर वर्ष 2005-06 में स्वीकृत हुई थी। देवरिया जिले में इसकी लंबाई 12.45 किमी. व कुल रकबा 41.902 हेक्टेयर अधिग्रहण किया जाना था। इस परियोजना के व्यवहार्यता को लेकर एक खेमे के किसान शुरू से ही आंदोलनरत थे। किसानों का कहना था कि पूर्व रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपने गांव, ससुराल व रिश्तेदारियों के गांव को जोड़ने के लिए परियोजना स्वीकृत कराई। प्रस्तावित रेल मार्ग की अपेक्षा सड़क मार्ग से दूरी आधी है।

वहीं दूसरे खेमे के किसान वर्तमान सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा मांग रहे थे। रेलवे ने परियोजना की लागत 230.03 से बढ़कर 770 करोड़ रुपये होने के कारण हाथ खड़े कर दिए। रेलवे किसानों को चार गुना मुआवजा देने को तैयार नहीं था।

डीएम अमित किशोर ने कहा कि देवरिया सीमा में हथुआ-भटनी रेललाइन परियोजना को कुछ व्यवहारिक दिक्कत के चलते निरस्त कर दिया गया है। धन वापस किया जा रहा है।

भूमि बचाओ किसान संघर्ष समिति भटनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष त्रिवेणी यादव ने बताया कि यह किसानों की जीत है। परियोजना जनता के लिए अनुपयोगी थी। इस परियोजना से छोटे-छोटे किसान प्रभावित हो रहे थे। इससे किसानों में खुशी है। शासन में बैठक के बाद लिया गया निर्णय

दो मार्च 2020 को इस परियोजना को लेकर लखनऊ में बैठक हुई थी, जिसमें राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार, डीएम अमित किशोर, मुख्य इंजीनियर निर्माण पूर्वोत्तर रेलवे गोरखपुर कैलाश सिंह, विशेष कार्याधिकारी भूमि अध्याप्ति निदेशालय अंशुमालिका सिंह शामिल हुई थीं। उस बैठक में मुख्य इंजीनियर ने परियोजना की व्यवहार्यता व धन कमी से शासन को अवगत कराया। जिसके बाद निरस्त करने की कार्रवाई आगे बढ़ पाई।


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