किसानों की खेती पर घाघरा का कहर
बरहज, देवरिया : घाघरा ने बाढ़ पूर्व ही खतरनाक तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। अभी नदी के
बरहज, देवरिया : घाघरा ने बाढ़ पूर्व ही खतरनाक तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। अभी नदी के जलस्तर में मामूली वृद्धि हुई है। बावजूद नदी की लहरें किसानों की खेती निगलने लगी हैं। कपरवार संगम तट से लेकर ग्राम कटइलवा तक नदी थोक के भाव कृषि योग्य भूमि निगल रही है। नदी का रूख देखकर किसानों के चेहरे स्याह पड़ गए हैं। अफसर कटावरोधी उपाय करने के बजाय धन का इंतजार कर रहे हैं।
पानी बढ़ने से घाघरा का रूख खतरनाक होता जा रहा है। नदी की कटान ने तटवर्ती ग्रामीणों की नींद उड़ा कर रख दिया है। दोनों किनारों पर नदी भीषण कटान कर रही है। कटान से खेती योग्य भूमि नदी में समाहित हो रही है। किसानों के खेत एक-एक कर नदी में विलीन हो रहे हैं। कपरवार संगम तट से कटइलवा तक हो रहे बेतहाशा कटान से ग्रामीण परेशान हैं। उनका कहना है कि अभी तक किसी ने सुध नहीं ली है, जबकि बाढ़ के समय प्रशासन गांव खाली कराने पहुंच जाता है। पिछले वर्ष बाढ़ के दौरान कटइलवा में कटान करते हुए मुखलाल यादव, जवाहिर, रामजी और चिरकुट के घर के समीप पहुंच गई थी। हालांकि प्रशासन ने बंबोक्रेट आदि लगाकर गांव को बचा लिया था। नदी की धारा को देखते हुए कटइलवा से कपरवार संगम तट तक बोल्डर, स्पर आदि के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। बाढ़ समाप्त होते ही यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।
अब तक अवधनाथ यादव, रामकेवल यादव, श्रवण कुमार, नथुनी कुशवाहा, ओमप्रकाश यादव, मंगल चौधरी, छांगुर चौधरी, कपरवार के राजेंद्र नारायण ¨सह, सूर्यदेव ¨सह, कृष्ण देव, त्रियुगी नारायण, गंगा यादव, ठाकुर यादव, संतकुमार, जनार्दन ¨सह आदि किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत नदी में कट चुके हैं। शिवकुमार गोंड, वृद्धि मद्धेशिया, फेंकू और रामजी आदि का कहना है कि प्रशासन के ढुलमुल रवैये से परसिया कूर्ह एवं गोरखपुर जनपद का कोलखास गांव कट चुका है। कटान का यही आलम रहा तो रामजानकी मार्ग, कुवाइच टोला, मठियां, गौरा-कटइलवा और बरहज नगर का आधा हिस्सा कटान की जद में आ जाएगा। एसडीएम अरुण कुमार ¨सह ने कहा कि स्टीमेट भेजा गया है। धन अवमुक्त होते ही कटान रोकने के पुख्ता इंतजाम करा दिए जाएंगे।