डिजिटलाइज्ड भू-नक्शा: कहीं सड़क गायब तो कहीं नक्शे छोटे
जनपद के गांवों के भू-नक्शों का डिजिटलाइजेशन अंतिम दौर में है। अधिकतर गांवों का नक्शा पोर्टल पर आ गया है, लेकिन इन नक्शों में खामियां ही खामियां हैं। कहीं सड़क गायब है तो कहीं नक्शे के आकार छोटे व बड़े हो गए हैं। इन नक्शों का सत्यापन कराया जाएगा। इस दौरान गाटा संख्या, रकबा, सड़क आदि का मिलान भी किया जाएगा, ताकि गलतियों को सुधारा जा सके
देवरिया : जनपद के गांवों के भू-नक्शों का डिजिटलाइजेशन अंतिम दौर में है। अधिकतर गांवों का नक्शा पोर्टल पर आ गया है, लेकिन इन नक्शों में खामियां ही खामियां हैं। कहीं सड़क गायब है तो कहीं नक्शे के आकार छोटे व बड़े हो गए हैं। इन नक्शों का सत्यापन कराया जाएगा। इस दौरान गाटा संख्या, रकबा, सड़क आदि का मिलान भी किया जाएगा, ताकि गलतियों को सुधारा जा सके। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि एक क्लिक करते हुए ही डिजिटल नक्शे आसानी से उपलब्ध हो जाएं। अंदेशा है कहीं गलतियां लोगों पर भारी न पड़ जाए।
भू-नक्शों के डिजिटलाइजेशन का कार्य करीब दो साल से चल रहा है। शुरुआती दौर में शासन ने तेजी दिखाई तो डिजिटलाइजेशन कार्य में तेजी आ गई, लेकिन इधर कार्य में सुस्ती आ गई है। जनपद में इस कार्य को आइएल एंड एफएस को नक्शों के डिजिटल करने का कार्य मिला है। जनपद के 2178 ग्रामों में 2258 भू-नक्शों को डिजिटलाइज्ड करने की कवायद की जा रही है। इसमें 1965 नक्शों को स्कैन कर अपलोड कर दिया गया है। इन नक्शों में कई तरह की खामियां सामने आ रही है। इन नक्शों में कहीं सड़क गायब है तो कहीं गाटा संख्या। यही नहीं, आकार को लेकर भी संशय बना हुआ है। कोई गाटा संख्या बड़ा है तो कोई छोटा। विभागीय लोगों की मानें तो भू-नक्शों में खामियां ही खामियां हैं।
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कार्यदायी संस्था ने नहीं किया सत्यापन, शासन सख्त
कार्यदायी संस्था ने जिन 1965 भू-नक्शों को स्कैन कर अपलोड किया है। उन नक्शों की खामियों को दूर करने से परहेज कर रही है। इसको देखते हुए राजस्व परिषद खफा है। परिषद के आयुक्त एवं सचिव ने 30 सितंबर तक भू-नक्शों को पूर्ण करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसका कोई असर कार्यदायी संस्था पर नहीं पड़ा। संस्था द्वारा डिजिटल ड्राफ्ट, मैप ¨प्रट व अन्य उपकरण उपलब्ध न कराने से सत्यापन कार्य बाधित है। हालांकि कार्यदायी संस्था ने एक पखवारा पूर्व राजस्व अभिलेखागार में सत्यापन के लिए लाइट टेबल लगा दिया है लेकिन उसके बाद पता नहीं है। जबकि राजस्व परिषद ने शत-प्रतिशत सत्यापन कार्य कर डिजिटलाइज्ड कार्य पूरा न करने पर सिक्योरिटी मनी जब्त करने की चेतावनी दी है।
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280 गांवों के 293 भू-नक्शे गायब, पशोपेश में प्रशासन
राजस्व अभिलेखागार में जनपद के 280 गांवों के 293 भू-नक्शे गायब हैं। यह नक्शे या तो सड़ गल गए या फट गए हैं। नक्शों के अभाव में डिजिटलाइजेशन कार्य बाधित है। इन नक्शों का इंतजाम कैसे होगा, इसको लेकर जिला प्रशासन पशोपेश में है। प्रशासन की समझ में नहीं आ रहा कि नक्शों का इंतजाम कैसे होगा। हालांकि जिला प्रशासन की तरफ से राजस्व परिषद को पत्र लिखकर अवगत कराया जा चुका है। विभागीय लोगों की मानें तो सबसे बड़ी दिक्कत तब होती है जब लोग नक्शे के लिए राजस्व अभिलेखागार में नकल के लिए आवेदन देते हैं, लेकिन नक्शे न होने से उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। इसके कारण इन गांवों में भूमि विवाद होने पर मामला सुलझने की बजाय उलझे हुए हैं।
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जिस कार्यदायी संस्था को भू-नक्शों का सत्यापन करना है, वह रुचि नहीं ले रही है। यदि संस्था शीघ्र सत्यापन कार्य शुरू नहीं करती है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। जिन गांवों के नक्शे गायब हैं, उन्हें उपलब्ध कराने के लिए राजस्व परिषद को फिर पत्र लिखा जाएगा।
-राम सहाय यादव, मुख्य राजस्व अधिकारी, देवरिया
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