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डिपो के बाहर बिकता है चोरी का डीजल व पेट्रोल

बैतालपुर डिपो के बाहर तेल माफिया पुलिस के संरक्षण में अपनी अवैध दुकानें चला रहे हैं। डिपो से तेल लेकर निकलने के बाद टैंकर सीधे डिपो के आस-पास बने लोहे के बड़े गेट के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और लाक को खोल कर माफिया पचास से साठ लीटर तेल टैंकर से निकाल लेते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 07 Oct 2018 11:02 PM (IST)Updated: Sun, 07 Oct 2018 11:02 PM (IST)
डिपो के बाहर बिकता है चोरी का डीजल व पेट्रोल
डिपो के बाहर बिकता है चोरी का डीजल व पेट्रोल

देवरिया : बैतालपुर डिपो के बाहर तेल माफिया पुलिस के संरक्षण में अपनी अवैध दुकानें चला रहे हैं। डिपो से तेल लेकर निकलने के बाद टैंकर सीधे डिपो के आस-पास बने लोहे के बड़े गेट के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और लाक को खोल कर माफिया पचास से साठ लीटर तेल टैंकर से निकाल लेते हैं। इतना ही नहीं, टैंकर से निकाले गए तेल में केमिकल मिलाकर पचास लीटर की जगह दो सौ लीटर तेल तैयार कर लेते हैं। बाजार भाव से कम कीमत पर माफिया लोगों को तेल मुहैया कराते हैं। इनका कारोबार बलिया से लेकर सोनौली बार्डर तक फैला हुआ है। अधिकारियों की अनदेखी किसी दिन बैतालपुर डिपो के पास बड़ी तबाही मचा सकती है।

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बैतालपुर डिपो से देवरिया के अलावा गोरखपुर, महराजगंज, संतकबीर नगर, बस्ती, बलिया, कुशीनगर, मऊ, आजमगढ़ व पड़ोसी देश नेपाल टैंकर से तेल भेजा जाता है। लगभग हर दिन पांच से छह सौ टैंकर तेल लेकर विभिन्न स्थानों के लिए रवाना होते हैं। डिपो के आस-पास दो दशकों से अवैध तेल का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है। बैतालपुर कस्बा से लेकर मझना नाले तक लगभग पचास जगहों पर चहारदीवारी या मकान बनाकर बड़े-बड़े लोहे के गेट लगाए गए हैं। जब डिपो से टैंकर निकलते हैं तो से¨टग के जरिये सीधे उस बड़े गेट में घुस जाते हैं और फिर चालक की मिलीभगत से टैंकर से तकरीबन पचास से साठ लीटर डीजल व पेट्रोल बाल्टी या पाइप से निकाल लिया जाता है। कुछ ही देर बाद चालक टैंकर लेकर निर्धारित पेट्रोल पंप के लिए निकल जाता है। बताया जाता है कि एक-एक माफिया हजारों लीटर तेल प्रत्येक दिन टैंकरों से आधी से भी कम कीमत पर निकालते हैं और उसकी आपूर्ति ग्रामीणांचल के चौराहों पर कर देते हैं। यह अवैध कारोबार पुलिस की शह पर चलता है।

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चंद मिनट में खोल देते हैं टैंकर का ढक्कन

टैंकर में डिपो से मजबूत लाक लगाया जाता है, ताकि कोई उसे खोल न पाए और तेल चोरी न कर पाए, लेकिन माफिया गेट के अंदर टैंकर के जाते ही जुगाड़ के जरिये हौजपाइप का वाल्ब खोल देते हैं और लाक भी सुरक्षित रह जाता है। उसे खोलने में उन्हें मात्र पांच से सात मिनट का समय लगता है और दस मिनट तेल निकालने में। तेल निकलने के चंद मिनट बाद ही माफिया टैंकर चालक को रुपये देते हैं और वह अपने गंतव्य को रवाना हो जाता है।

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कम रेट पर मिलता है इन्हें तेल टैंकर चालक से माफियाओं की से¨टग रहती है। टैंकर में तेल लोड होने के पहले ही सब तय हो जाता है। सूत्रों का दावा है कि बाजार भाव में जिस कीमत पर तेल मिलता है उससे आधे रेट पर माफियाओं को तेल मुहैया कराता है। इसके बाद माफिया उस पर दस से पंद्रह रुपये रख कर दुकानदारों को मुहैया कराते हैं। इतना ही नहीं, केमिकल से भी अपमिश्रित तेल तैयार किया जाता है।

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पहले खाकी भी हो चुकी है दागदार यहां कारोबार तो बहुत पहले से चला आ रहा है। अक्टूबर 2012 में तत्कालीन डीएम रविकांत ¨सह व पुलिस अधीक्षक एल रवि कुमार ने तेल माफिया के खिलाफ संयुक्त रूप से अभियान चलाया और बड़े नेटवर्क का पर्दाफाश किया गया। चोरी के तेल से भरे आठ टैंकर भी पकड़े गए और 32 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। जिलापूर्ति अधिकारी ने टैंकरों को गौरीबाजार पुलिस को सौंप दिया। न्यायालय के बिना अनुमति के ही पुलिस ने उन टैंकरों को छोड़ दिया। इस प्रकरण में तत्कालीन थानाध्यक्ष वीरेंद्र यादव व हरेंद्र मिश्र पर कार्रवाई की गई थी। इसके बाद भी यहां कई बार छापेमारी कर कार्रवाई भी की गई, इसके बाद भी इस पर लगाम नहीं लग पा रहा है।

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अवैध खेल का मामला संज्ञान में है। जिलाधिकारी से बात हुई है। पहले के पकड़े गए माफियाओं की सूची तैयार की जा रही है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अवैध कार्य में लिप्त अन्य लोगों पर भी जल्द बड़ी कार्रवाई करने की हमारी योजना है।

एन कोलांची

पुलिस अधीक्षक

देवरिया

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